बजट

सामान्यतः बजट (फ्रांसीसी भाषा के शब्द bougette से व्युत्पन्न) धन (राजस्व) के आय और उसके व्यय की सूची को कहते हैं। व्यष्टि अर्थशास्त्र (microeconomics) में बजट एक महत्वपूर्ण अवधारणा (कांसेप्ट) है।

बजट किसी देश का हो सकता है; किसी संस्था का हो सकता है या व्यक्तिगत अथवा पारिवारिक बजट हो सकता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 में भारत के केन्द्रीय बजट को वार्षिक वित्तीय विवरण के रूप में निर्दिष्ट किया गया है, जो कि भारतीय गणराज्य का वार्षिक बजट होता है, जिसे प्रत्येक वर्ष फरवरी के अंतिम कार्य-दिवस में भारत के वित्त मंत्री द्वारा संसद में पेश किया जाता है। भारत के वित्तीय वर्ष की शुरूआत, अर्थात 1 अप्रैल से इसे लागू करने से पहले बजट को सदन द्वारा इसे पारित करना आवश्यक होता है। पूर्व वित्त मंत्री मोरारजी देसाई ने अभी तक सबसे ज्यादा आठ बार बजट प्रस्तुत किया है।

कालक्रम

स्वतंत्र भारत का प्रथम केन्द्रीय बजट 26 नवम्बर 1947 को आर.के. शनमुखम चेट्टी द्वारा प्रस्तुत किया गया था।

1962-63 के अंतरिम बजट के साथ 1959-60 से 1963-64 के वित्तीय वर्ष के लिए केंद्रीय बजट को मोरारजी देसाई द्वारा प्रस्तुत किया गया।1964 और 1968 में फरवरी 29 को वे अपने जन्मदिन पर केंद्रीय बजट पेश करने वाले एकमात्र वित्त मंत्री बने. देसाई द्वारा प्रस्तुत बजट में पांच वार्षिक बजट शामिल हैं, अपने पहले कार्यकाल के दौरान एक अंतरिम बजट और दूसरे कार्यकाल के दौरान एक अंतरिम बजट और तीन अंतिम बजट प्रस्तुत किया, इस समय वे वित्त मंत्री और भारत के उप-प्रधानमंत्री दोनों थे

देसाई के इस्तीफा देने के बाद, उस समय की भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने वित्त मंत्रालय के पदभार को संभाल लिया और साथ ही वित्त मंत्री के पद को हासिल करने वाली एकमात्र महिला भी बन गई

वित्त पोर्टफोलियो को हासिल करने वाले राज्य सभा के पहले सदस्य प्रणव मुखर्जी ने 1982-83, 1983-84 और 1984-85 के वार्षिक बजट को प्रस्तुत किया।

वी.पी. सिंह के सरकार छोड़ने के बाद 1987-89 के बजट को राजीव गांधी ने प्रस्तुत किया और मां और दादा के बाद बजट प्रस्तुत करने वाले वे एकमात्र तीसरे प्रधानमंत्री बने.

एन.डी. तिवारी ने वर्ष 1988-89 के लिए बजट प्रस्तुत किया, 1989-90 के लिए एस.बी. चव्हाण, जबकि मधु दंडवते ने 1990-91 के लिए केंद्रीय बजट प्रस्तुत किया।

डॉ॰ मनमोहन सिंह भारत के वित्त मंत्री बने लेकिन चुनाव की विवशता वश उन्होंने 1991-92 के लिए अंतरिम बजट ही प्रस्तुत किया।

राजनीतिक घटनाक्रम के कारण, प्रारम्भिक चुनाव को मई 1991 में आयोजित किया गया, जिसमें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने राजनीतिक सत्ता को पुनः प्राप्त किया और वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने 1991-92 के लिए बजट प्रस्तुत किया

बजट घोषणा का समय
वर्ष 2000 तक, केंद्रीय बजट को फरवरी महीने के अंतिम कार्य-दिवस को शाम 5 बजे घोषित किया जाता था। यह अभ्यास औपनिवेशिक काल से विरासत में मिला था जब ब्रिटिश संसद दोपहर में बजट पारित करती थी जिसके बाद भारत ने इसे शाम को करना आरम्भ किया।

अटल बिहारी बाजपेयी की एनडीए सरकार (बीजेपी द्वारा नेतृत्व) के तत्कालीन वित्त मंत्री श्री यशवंत सिन्हा थे, जिन्होंने परम्परा को तोड़ते हुए 2001 के केंद्रीय बजट के समय को बदलते हुए 11 बजे घोषित किया। इससे यह भी पता चलता है, कैसे पिछली सरकार ने बिना किसी महत्वपूर्ण उद्देश्य के स्वतंत्रतापूर्व अवधि से इस प्रक्रिया को जारी रखा था।

पूरे बजट में कुछ सात दस्तावेज होते हैं, जो निम्न हैं :

1. वित्तमंत्री का भाषण 
यह दो भागों में होता है। पहले भाग में सामान्य आर्थिक परिदृश्य का विवरण होता है, जबकि दूसरे भाग में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष कर प्रस्तावों के अलावा आगामी वर्ष में आर्थिक मोर्चे पर सरकार द्वारा ली जाने वाली पहलकदमियों का ब्योरा रहता है।

2. वार्षिक वित्तीय कथन 
यह बजट का मख्य दस्तावेज है, जिसमें आगामी वित्तवर्ष के लिए अनुमानित सरकारी आय और व्यय पर विस्तृत टिप्पणी होती है।

3. बजट का सार
इस दस्तावेज में पूरे बजट का सार संक्षिप्त आँकड़ों और ग्राफों में दर्शाया गया रहता है। राज्यों व संघ राज्य क्षेत्रों से प्राप्त होने वाली और उनको दी जाने वाली रकम का ब्योरा भी इस दस्तावेज में रहता है।

4. वित्त विधेयक
सरकार द्वारा प्रस्तावित कर प्रस्तावों की विस्तृत सूची के अलावा इस दस्तावेज में वित्त विधेयक का व्याख्यात्मक प्रपत्र भी शामिल रहता है।

5. बजट प्राप्तियाँ
इस दस्तावेज में आगामी वर्ष के लिए सरकार को मिलने वाली अनुमानित सम्पूर्ण राजस्व और पूँजी प्राप्तियों का विस्तृत ब्योरा रहता है। सरकार को मिलने वाले अनुमानित घरेलू और विदेशी कर्जे का भी इसमें उल्लेख रहता है।

6. बजट व्यय
यह दस्तावेज सरकार द्वारा आगामी वर्ष में खर्च की जाने वाली राशि का विस्तृत ब्योरा प्रस्तुत करता है। विभिन्न सरकारी विभागों और मंत्रालयों को खर्चे के लिए कितनी राशि मिलेगी और कितनी राशि आयोजना व गैर आयोजना पर खर्च होगी, का भी इसमें विवरण रहता है।

7. अनुदान की माँग
इसमें विभिन्न मंत्रालयों की अपनी निजी माँगों के साथ-साथ अनुदानों की समस्त माँगों का सारांश होता है।

 

चीनी उद्योग की मिठास बचाने के लिए बजट से, मूल्य नीति में बदलाव के साथ विशेष पैकेज की उम्मीद

चीनी उद्योग की मिठास बचाने के लिए बजट से, मूल्य नीति में बदलाव के साथ विशेष पैकेज की उम्मीद

इस सत्र में 71 मिलों में गन्ना पेराई नहीं हो पा रहा। उत्तर प्रदेश को छोड़ अन्य राज्यों की सभी मिलें नहीं चल पा रही हैं। महाराष्ट्र की गत वर्ष चली 189 चीनी मिलों में से इस बार केवल 139 मिलें ही संचालित संचालित है। इसी तरह कर्नाटक में दो, गुजरात में एक और आंध्र प्रदेश में सात और तमिलनाडू में नौ मिलों में गन्ने की पेराई नहीं हो रही है। चीनी उठान न होने से मिलों की दशा बिगड़ रही है।

अब खाद सब्सिडी मिलेंगी किसानों के खाते में

अब खाद सब्सिडी मिलेंगी किसानों के खाते में

मोदी सरकार अपने आगामी आम बजट 2020 में किसानों के खाते में खाद सब्सिडी डालने का व्यवस्था कर सकती है. यह भरोसा जताते इफको के प्रबंध निदेशक डॉ यूएस अवस्थी ने यहां फूलपुर इकाई में कहा कि इससे किसान अपनी खाद खरीदने के लिए स्वतंत्र हो जायेगा. उन्होंने कहा कि केन्द्र में मोदी सरकार द्वारा किसान सम्मान निधि के तहत किसानों को 49,000 करोड़ रुपये अब तक वितरित किये जा चुके हैं. इससे साबित हो गया है कि जिन खाद पर सरकार सब्सिडी देती है, उनके लिए प्रत्यक्ष लाभ अंतरण की व्यवस्था हो सकती है.

बजट 2017 और किसान

बजट 2017 और किसान

केन्‍द्रीय वित्‍तमंत्री श्री अरूण जेटली ने बुधवार को संसद में वर्ष 2017-18 का आम बजट पेश करते हुए बताया कि सरकार को मानसून की स्थिति बेहतर रहने से चालू वर्ष 2016-17 के दौरान कृषि क्षेत्र में 4.1 प्रतिशत होने की उम्‍मीद है। 

बजट में कुछ खास बातें निम्न प्रकार से हैं 

फसल बीमा की राशि

फसल बीमा योजना का विस्‍तार जो 2016-17 में फसल क्षेत्र का 30 प्रतिशत है, उसे 2017-18 में बढ़ाकर 40 प्रतिशत और 2018-19 में बढ़ाकर 50 प्रतिशत किया जाएगा। इसके लिए पिछले साल के 5500 करोड़ से बढ़ाकर 13,240 करोड़ कर दिया गया है।

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