यूरिया

यूरिया ('Urea या carbamide) एक कार्बनिक यौगिक है जिसका रासायनिक सूत्र (NH)2CO होता है। कार्बनिक रसायन के क्षेत्र में इसे कार्बामाइड भी कहा जाता है। यह एक रंगहीन, गन्धहीन, सफेद, रवेदार जहरीला ठोस पदार्थ है। यह जल में अति विलेय है। यह स्तनपायी और सरीसृप प्राणियों के मूत्र में पाया जाता है। कृषि में नाइट्रोजनयुक्त रासायनिक खाद के रूप में इसका उपयोग होता है। यूरिया को सर्वप्रथम १७७३ में मूत्र में फ्रेंच वैज्ञानिक हिलेरी राउले ने खोजा था परन्तु कृत्रिम विधि से सबसे पहले यूरिया बनाने का श्रेय जर्मन वैज्ञानिक वोहलर को जाता है। इन्होंने सिल्वर आइसोसाइनेट से यूरिया का निर्माण किया तथा स्वीडेन के वैज्ञानिक बर्जेलियस के एक पत्र लिखा कि मैंने वृक्क (किडनी) की सहायता लिए बिना कृत्रिम विधि से यूरिया बना लिया है। उस समय पूरी दुनिया में बर्जेलियस का सिद्धान्त माना जाता था कि यूरिया जैसे कार्बनिक यौगिक सजीवों के शरीर के बाहर बन ही नहीं सकते तथा इनको बनाने के लिए प्राण शक्ति की आवश्यकता होती है।

AgNCO (सिल्वर आइसोसाइनेट) + NH4Cl → (NH2)2CO (यूरिया) + AgCl
बड़े पैमाने पर यूरिया का उत्पादन द्रव अमोनिया तथा द्रव कार्बन डाई-आक्साइड की प्रतिक्रिया से होता है।

यूरिया का उपयोग मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाने में होता है। इसका प्रयोग वाहनों के प्रदूषण नियंत्रक के रूप में भी किया जाता है। यूरिया-फार्मल्डिहाइड, रेंजिन, प्लास्टिक एवं हाइड्राजिन बनाने में इसका उपयोग किया जाता है। इससे यूरिया-स्टीबामिन नामक काला-जार की दवा बनती है। वेरोनल नामक नींद की दवा बनाने में उसका उपयोग किया जाता है। सेडेटिव के रूप में उपयोग होने वाली दवाओं के बनाने में भी इसका उपयोग किया जाता है।

अब खाद सप्लाई में नहीं होगी देरी, जानें UP के कृषि मंत्री और रेल मंत्री के बीच क्या हुई बातचीत

अब खाद सप्लाई में नहीं होगी देरी, जानें UP के कृषि मंत्री और रेल मंत्री के बीच क्या हुई बातचीत

उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से राज्य में ट्रेनों द्वार डीएपी और यूरिया की ढुलाई में हो रही देरी को कम करने के लिए कहा है. सूर्य प्रताप शाही के अनुसार, डीएपी और यूरिया खाद की ढुलाई में बंदरगाह से स्टेशन तक 8-10 दिन लगते हैं. वहीं, कई स्टेशन ऐसे भी हैं जहां प्रतिबंधों के कारण यूरिया की सप्लाई रुकी हुई है. यही वजह है कि ढुलाई में तेजी लाने के लिए सूर्य प्रताप शाही ने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से मुलाकात की.

अब खाद सब्सिडी मिलेंगी किसानों के खाते में

अब खाद सब्सिडी मिलेंगी किसानों के खाते में

मोदी सरकार अपने आगामी आम बजट 2020 में किसानों के खाते में खाद सब्सिडी डालने का व्यवस्था कर सकती है. यह भरोसा जताते इफको के प्रबंध निदेशक डॉ यूएस अवस्थी ने यहां फूलपुर इकाई में कहा कि इससे किसान अपनी खाद खरीदने के लिए स्वतंत्र हो जायेगा. उन्होंने कहा कि केन्द्र में मोदी सरकार द्वारा किसान सम्मान निधि के तहत किसानों को 49,000 करोड़ रुपये अब तक वितरित किये जा चुके हैं. इससे साबित हो गया है कि जिन खाद पर सरकार सब्सिडी देती है, उनके लिए प्रत्यक्ष लाभ अंतरण की व्यवस्था हो सकती है.

पराली जलाकर धरती मां का नुकसान न करें : नरेंद्र मोदी

पराली जलाकर धरती मां का नुकसान न करें

नरेंद्र मोदी भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, आईएआरआई पूसा परिसर के 'कृषि उन्नति मेला' में शामिल हुए।प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों से पराली जलाना छोड़ने की अपील की। उन्होंने कहा कि धरती किसानों की मां है उसे नहीं जलाना चाहिए। यदि वे इसे मशीनों के जरिए हटाएं तो खाद के तौर पर इसका उपयोग बढ़ सकेगा। पराली जलाने से प्रदूषण तो होता ही है। सारे अहम तत्व जलने जमीन की उर्वरता घटती है। प्रधानमंत्री ने इस मौके पर ‘जैविक खेती’ पोर्टल लॉन्च किया। साथ ही देशभर में 25 कृषि विज्ञान केंद्रों की आधारशिला रखी। 

मन की बात में किसानों से अपील, साल 2022 तक यूरिया के इस्तेमाल को आधा करें

मन की बात में किसानों से अपील, साल 2022 तक यूरिया के इस्तेमाल को आधा करें

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि यूरिया के उपयोग से जमीन को गंभीर नुकसान पहुंचता है, ऐसे में हमें संकल्प लेना चाहिए कि 2022 में देश जब आजादी के 75वीं वर्षगांठ मना रहा हो तब हम यूरिया के उपयोग को आधा कम कर दें. आकाशवाणी पर प्रसारित 'मन की बात' कार्यक्रम में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि हर प्रकार के वैज्ञानिक तरीकों से यह सिद्ध हो चुका है कि धरती-मां को आवश्यकता से अधिक यूरिया के उपयोग से गंभीर नुकसान पहुंचता है. किसान तो धरती का पुत्र है, किसान धरती माता को बीमार कैसे देख सकता है?

Pages