Aksh's blog
खेती-किसानी का एक सूखा तो खत्म हुआ
Submitted by Aksh on 31 March, 2018 - 22:45यह शायद सबसे बड़ी नीतिगत घोषणा है। केंद्र सरकार द्वारा बजट में किसानों को उनकी फसलों के लागत मूल्य का डेढ़ गुना ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ दिए जाने की घोषणा से अब तक के हताश किसानों में उत्साह का संचार होगा। सरकार की इस घोषणा से चुनाव पूर्व किया गया वादा भी निभाया गया प्रतीत हो रहा है। वर्ष 2017 मंदसौर, यवतमाल व विदर्भ के किसान असंतोष का गवाह बना। तमिलनाडु के किसान संगठनों ने तो दिल्ली के बोट क्लब पर कई सप्ताह तक धरना दिया और लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए कई नाटकीय तरीके अपनाए। देश के बाकी हिस्सों का हाल भी कोई बहुत अच्छा नहीं था। एक के बाद एक तकरीबन पूरे देश से ही किसानों द्वारा आत्महत्या क
हम खेती को नौकरियों से अव्वल कब मानेंगे
Submitted by Aksh on 21 March, 2018 - 10:27रूस में अरबपति कारोबारी और नौकरी पेशा भी कर रहे खेती की ओर रुख
यूरोपीय देश ग्रीस के वर्तमान आर्थिक संकट पर पूरी दुनिया में बवाल मचा हुआ है। आखिर क्या वजहें हो सकती हैं, जिससे इस देश की अर्थव्यवस्था चकनाचूर हो गई? मैं कोई पेशेवर अर्थशास्त्री नहीं, ना ही कोई विद्वान, लेकिन आपसी चर्चाओं पर गौर करूं तो कहीं ना कहीं युवाओं में स्वावलंबी होने के लिए नकारापन होना एक बड़ी समस्या के तौर पर देखा जा सकता है। ग्रीस की समस्या एक सांकेतिक इशारा है, दुनिया के अन्य देशों के लिए।
आज़ाद देश में बेबस अन्नदाता
Submitted by Aksh on 18 March, 2018 - 19:34भारत एक कृषि प्रधान देश है , किसान अन्नदाता है,देश की अर्थव्यवस्था में 70%कृषि का योगदान है सदियों से हम लोग कुछ जुमलो को दोहराते रहे है । निःसंदेह भारत की पिछले हजार दो हजार साल की अर्थ व्यवस्था कृषि पर आधारित रही है हांलाकि यह इस अर्थ में सही है कि अधिकांश लोग कृषि कार्य करते थे, और कृषि कार्य के आधार पर ही अपनी जीविका चलाते थे।