दोबारा बारिश से सड़ने लगीं फसलें
माह की शुरुआत में हुई भारी बारिश व ओलावृष्टि से आहत किसानों की कमर अभी सीधी भी नहीं हुई कि रविवार देर रात से सोमवार के बीच फिर हुई बारिश ने उन्हें पूरी तरह तोड़ दिया। पहले आई बारिश व तेज हवाओं से खेतों में बिछी फसलें अब सड़ने लगी हैं।
इसका सबसे ज्यादा असर गेहूं, सरसों, आलू, आम और दलहनी फसलों पर पड़ा है। नुकसान के सदमे से उत्तर प्रदेश में 12 और किसानों की मौत हो गई। इस दौरान बिहार में भी आंधी-पानी ने जनजीवन प्रभावित किया और वज्रपात से प्रदेश में 10 लोगों की मौत हो गई। राजधानी दिल्ली सहित पहाड़ी राज्यों में हुई बारिश से तापमान में भी गिरावट आई है।
उत्तर प्रदेश के कन्नौज में सोमवार तड़के जोरदार बारिश के साथ ओलावृष्टि भी हुई। हवा के साथ बारिश से खेतों में खड़ी फसल बिछ गई। महोबा, बांदा, हमीरपुर व चित्रकूट में बूंदाबांदी से किसान चिंतित हो उठे। महोबा में भी ओलावृष्टि से फसलें बर्बाद हुईं। पनवाड़ी क्षेत्र में बिजली गिरने से पांच महिलाएं झुलस गईं। जालौन के भिटौरा में किसान लाखन और इटावा के ताखा क्षेत्र में नगला ढकाऊ निवासी पार्वती देवी की गेहूं की बर्बाद फसल देखकर सदमे से मौत हो गई। इटावा के ही नगला कुआं निवासी विक्रांत यादव का भी हार्टफेल हो गया।
अमेठी व आसपास के इलाकों में भी फसलों को बहुत नुकसान हुआ है। आगरा के इरादतनगर के गढ़ी अहीर में आलू किसान राजेंद्र का दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। मथुरा नौझील के गांव बाड़ौत निवासी किशन स्वरूप ने बर्बाद फसल देख फांसी लगा ली तो सुरीर क्षेत्र के भालई निवासी कालीचरन की दिल का दौरा पड़ने से खेत पर ही मौत हो गई। राया क्षेत्र में किसान नेकसे को गुरुवार को दिल का दौरा पड़ा था, उपचार के दौरान उसने अलीगढ़ में दम तोड़ दिया।
फीरोजाबाद में नारखी के लखुरिया गांव निवासी भूपेंद्र सोमवार सुबह कोल्ड स्टोरेज में आलू जमा करने आए थे। जगह नहीं होने से उनका आलू नहीं रखा गया। वे आलू बेचने मंडी गए, जहां भाव सुनकर तनाव में आ गए और खुद को गोली मार ली। नारखी के ही गांव गढ़ी हंसराम में किसान गोपी की मौत हो गई, जबकि टूंडला के नगला सिघी क्षेत्र के बांस झरना निवासी किसान शिवशंकर की रविवार शाम दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। एटा के सोरों में उढ़ैत निवासी राम सिंह और अलीगढ़ के हरदुआगंज क्षेत्र के गांव मोरथल में किसान निरंजन सिंह की भी सदमे से मौत हो गई।
साभार नई दुनिया जागरण