मेंथा यानी पिपरमिंट : यूपी ने अकेले पछाड़ दिया चीन को
ताकत, शोहरत और बाजार में सस्ते उत्पादों के दम पर चीन की चौधराहट का डंका भले ही दुनिया भर में रहा हो, लेकिन एक मामले में भारत क्या वह उत्तर प्रदेश के सामने ही घुटने टेक चुका है। मेंथा ऑयल के उत्पादन में दशकों तक ग्लोबल मार्केट में धाक रखने वाला चीन आज भारत के सामने बौना साबित हो चुका है। अकेले यूपी में पूरे देश का 92 फीसदी मेंथा का उत्पादन होता है। विश्व के कुल निर्यात मार्केट में इसकी 86 फीसदी हिस्सेदारी है।
खाने पीने की चीजों में होने वाले ठंडेपन का अहसास असल में मेंथा यानी पिपरमिंट की देन है। इस ठंडे में यूपी के किसानों का फंडा लगा हुआ है। कम लागत और दो फसलों के बीच मेंथा पैदा करने की कला के दम पर कभी मेंथा का चीन से आयात करने वाले भारत ने उसे पीछे छोड़ दिया है। भारत आज इसके उत्पादन में दुनिया का सिरमौर बन गया है।
कन्नौज स्थित प्रतिष्ठित संस्थान एफएफडीसी (फ्रेगनेंस एंड फ्लेवर डेवलमेंट सेंटर) के डिप्टी डायरेक्टर शक्ति विनय शुक्ला ने बताया कि मेंथा की खेती की शुरुआत भारत में 70 के दशक के बाद ही शुरू हुई। 1954 में जापान से इसके सात पौधे लाकर लगाए गए थे। तब जापान ही इसका सबसे बड़ा उत्पादक देश था। बाद के दशकों में चीन ने इस मामले में सभी को पीछे छोड़ दिया। 1980 तक भारत चीन से ही अपनी जरूरत का मेंथा ऑयल आयात करता रहा। जापान से लाए गए पौधों पर लंबे समय तक शोध किया गया। सबसे पहले एच-77के नाम से मेंथा की हाइब्रिड नस्ल तैयार की गई। बाद में गोमती, हिमालया बाजार में आई। 1998 में मेंथा की कोसी नस्ल तैयार हुई। इसके बाद से ही देश ने मेंथा उत्पादन में बढ़त बनाना शुरू कर दिया।
विश्व में 22 हजार टन मेंथा ऑयल का उत्पादन होता है। इसमें 19 हजार टन तेल अकेले भारत में निकाला जाता है। इसका भी 90 फीसदी हिस्सा यूपी में पैदा होता है। देश के कुल 1 लाख 60 हजार हेक्टेयर में मेंथा की खेती होती है। इसमें भी 95 फीसदी रकबा अकेले यूपी में है। यूपी के बाराबंकी, सीतापुर, बलरामपुर, लखनऊ, बदायूं, रामपुर और बरेली में इसकी खेती होती है।
एसेंसियल ऑयल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष शैलेंद्र जैन ने बताया कि दशकों तक मेंथा बाजार पर काबिज रहे चीन का वर्चस्व खत्म हो गया है। यह सब यूपी की दम पर ही हुआ है। शक्ति शुक्ला के मुताबिक वायदा बाजार में आज मेंथा की धूम है। कन्नौज स्थित एफएफडीसी सेंटर में मेंथा ऑयल शुद्धता की जाच को हर रोज दर्जनों नमूने देशभर से आते हैं।
साभार दैनिक जागरण