दलहन में तेजी आई तो दोगुनी हुई बुआई

दलहन में तेजी आई तो दोगुनी हुई बुआई

 दशकों से सूखे की मार झेल रहे महाराष्ट्र के किसान अब दलहन फसलों को प्राथमिकता देने का मन बना चुके हैं। राज्य में चालू रबी सीजन में अभी तक दलहन फसलों की बुआई पिछले साल से 10 गुना ज्यादा हुई है। दाल की हालिया तेजी और पानी की कमी के कारण देशभर के किसानों का रुझान दलहन फसलों की तरफ बढ़ा है। इससे किसान रबी सीजन में अन्य फसलों की तुलना में दलहन की ज्यादा बुआई कर रहे हैं। 

रबी सीजन में किसान दलहन फसलों को प्राथमिकता दे रहे हैं। देश में चने के दूसरे सबसे बड़े उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में रबी सीजन में दलहन फसलों की बुआई 20.1 फीसदी और चने की बुआई 21.9 फीसदी पूरी हो गई है। सरकारी आंकड़ों में दलहन फसलों की बुआई पिछले साल की तुलना में 10 गुने से भी ज्यादा देखने को मिल रही है। महाराष्ट्र कृषि विभाग से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक 23 अक्तूबर तक राज्य में 2,86,603 हैक्टेयर में चने की बुआई हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में महज 2,751 हैक्टेयर में चना बोया गया था। चालू रबी सीजन में सामान्य रकबे के हिसाब से चने की बुआई 21.9 फीसदी और सरकारी लक्ष्य के हिसाब से 23.2 फीसदी हो गई है।

महाराष्ट्र सरकार ने रबी सीजन के दौरान 12,32,800 हैक्टेयर में चने की बुआई का लक्ष्य तय किया है। आंकड़ों के मुताबिक राज्य में दलहन फसलों की कुल बुआई 2,87,493 हैक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक महज 27,996 हैक्टेयर में दलहन फसलों की बुआई हुई थी। दलहन फसलों की बुआई देशभर में रफ्तार पकड़ चुकी है। 

सरकारी आंकड़ों में इस बार पिछले साल की तुलना में दोगुनी बुआई हो चुकी है। कृषि मंत्रालय के अनुसार 23 अक्तूबर तक पूरे देश में अभी तक 9.83 लाख हैक्टेयर में दलहन फसलों की बुआई हो चुकी है जबकि पिछले रबी सीजन में इस समय तक देश में दलहन फसलों की बुआई 4.75 लाख हैक्टेयर में हुई थी। महाराष्ट्र के अलावा कर्नाटक, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु में भी दलहन फसलों की बुआई रफ्तार पकड़ चुकी है। कर्नाटक में अभी तक 7.8 लाख हैक्टेयर में मटर की बुआई हो चुकी है जो पिछले साल के 3.75 लाख हैक्टेयर से करीब दोगुनी है। 

दलहन फसलों की बुआई अधिक होने की प्रमुख वजह बाजार में दलहन फसलों की ऊंची कीमतें हैं। इंडियन पल्सेज ऐंड ग्रेन्स एसोसिएशन (आईपीजीए) के चेयरमैन प्रवीण डोंगरे कहते हैं कि दालों की कीमतें अधिक होने पर किसान दलहन फसलों की तरफ आकर्षित हो रहे हैं। सरकार को चाहिए कि वह दलहन फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाए। फसल के दाम अधिक मिलने का भरोसा मिलने से किसान दलहन फसलों की अधिक खेती करेंगे, जिससे देश दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर बन सकता है। 

महाराष्ट्र कृषि मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि रबी सीजन में चने का औसत रकबा 13.06 लाख हैक्टेयर और दलहन फसलों का औसत रकबा 14.31 लाख हैक्टेयर है लेकिन जिस तरह से बुआई ने रफ्तार पकड़ी है, उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि इस साल दलहन फसलों की बुआई औसत से अधिक रहेगी। कृषि मामलों के जानकार हरीश भाई का मानना है कि अक्तूबर की शुरूआत में महाराष्ट्र सहित देश के कई हिस्सों में बारिश हुई थी। 

किसान उस नमी का फायदा उठाना चाहते हैं। हालांकि दलहन उत्पादक प्रमुख राज्य मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में दलहन फसलों की बुआई अगले सप्ताह तक रफ्तार पकड़ेगी। देश में दाल की कमी को देखते हुए उम्मीद की जा रही है कि सरकार रबी सीजन की प्रमुख दलहन फसल चने के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 300 रुपये की बढ़ोतरी करेगी। सरकार को यह कदम जल्द उठाना होगा, जिससे किसान ज्यादा से ज्यादा फायदा उठा सकें। फिलहाल चने का एमएसपी 3,175 रुपये प्रति क्विंटल है। कारोबारियों का मानना है कि रबी सीजन की दूसरी फसलों की तुलना में चने की खेती में लागत कम आती है और पानी की कम आवश्यकता होती है। ऐसे में सूखे की हालात में भी चने की पैदावार हो जाएगी, इसलिए किसान चने की बुआई को तरजीह दे रहे हैं। गौरतलब है कि इस साल देश में कमजोर मॉनसून के कारण कम बारिश हुई है।

 PUNJABKESARI