राष्ट्रीय कृषि उन्नति मेला कल से प्रधानमंत्री करेंगे उद्घाटन
किसान आंखों देखी पर यकीन करता है, सुनी-सुनाई बातों पर नहीं। इसी को ध्यान में रखकर 19 से 21 मार्च के बीच कृषि उन्नति मेला आयोजित किया जा रहा है। इसमें एक लाख किसान हिस्सा लेंगे। कृषिमंत्री राधामोहन सिंह ने कहा कि जिंस मंडियों के ग्लोबलाइजेशन से कृषि क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है।
ऐसे में किसानों को आधुनिक तकनीक से लैस करने की जरूरत है। कृषि उत्पादों की आपूर्ति श्रृंखला में छोटे किसानों की भूमिका अहम हो गई है। उनकी जरूरत के कृषि यंत्रों का प्रदर्शन इस राष्ट्रीय कृषि मेले में किया जाएगा।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने बताया कि राष्ट्रीय स्तर के इस मेले का आयोजन राजधानी में स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में किया जा रहा है। मेले का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। प्रधानमंत्री किसानों से सीधे बातचीत भी करेंगे। इसमें खेती-बाड़ी के साथ इससे जुड़े सभी तरह के उद्यमों का प्रदर्शन किया जाएगा। इस मेले में देश के सभी ब्लॉकों के कम से कम दो किसान हिस्सा लेंगे।
राधामोहन के मुताबिक, किसानों की उत्पादकता व आय में वृद्धि से ही खाद्य सुरक्षा और आजीविका की रक्षा संभव है। इसमें छोटे किसानों की सहभागिता अहम है। खाद्य जिंसों की मंडियों का वैश्वीकरण हो चुका है। इससे कृषि क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बहुत बढ़ी है। इस दौर में किसानों की कार्यक्षमता बढ़ाने वाली तकनीक चाहिए। खाद्य जिंसों की आपूर्ति श्रृंखला में छोटे किसानों को शामिल करने की सख्त जरूरत को देखते हुए उन्हें अवसर प्रदान किया जा रहा है। इस कृषि प्रदर्शनी का मूल उद्देश्य यही है।
किसानों के लिए होगा बहुत कुछ
इस मेले में किसानों के लिए बहुत कुछ होगा। किसानों को उनकी भाषा में ही सारी जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी। पूसा संस्थान के खेतों में प्रदर्शनी के लिए लगाई गई उम्दा फसलों के उन्नत बीज भी मौके पर ही मुहैया कराए जाएंगे। सरकारी व गैर सरकारी कंपनियों व अनुसंधान संस्थानों के स्टालों पर सभी तरह के बीज और अन्य वस्तुएं उपलब्ध होंगी। मेला परिसर के चार बड़े खंडों में कृषि, बागवानी, पशुपालन, नई तकनीक और कृषि यंत्रों का प्रदर्शन किया गया है।
फसलों का उचित मूल्य दिलाने पर जोर
कृषि मंत्री का कहना है कि सरकार का पूरा ध्यान खेती की लागत घटाने व फसलों की उपज का उचित मूल्य दिलाने पर है। इसके लिए हर संभव उपाय किए जा रहे हैं। इसी फॉर्मूले से किसानों की आय को अगले कुछ सालों में दोगुना करना संभव हो पाएगा। इसके लिए सरकार ने आम बजट में कई उपाय किए हैं।
इन्हें लागू करने के लिए राज्यों पर दबाव डाला जा रहा है। मेले की थीम पवेलियन को आठ जोन में बांटा गया है। एग्रो क्लामेटिक जोन, सिंचाई, मिट्टी, तकनीकी, पशुपालन व मछली पालन, कृषि पुनरोद्धार और बागवानी के साथ जुड़े अन्य क्षेत्रों को दर्शाया गया है।
साभार नई दुनिया जागरण