भैंस के प्रसूतिकाल के रोग एवं उपचार

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भैंस के प्रसूतिकाल के रोग एवं उपचार

भैंस का प्रसूतिकाल प्रसव के बाद का वह समय है जिसमें मादा जननांग विशेष रूप से बच्चेदानी, शारीरिक व क्रियात्मक रूप से अपनी अगर्भित अवस्था में वापस आ जाती है। इसमें लगभग 45 दिन का समय लगता है। भैंस के प्रसूतिकाल के रोग  इस प्रकार है।

  • जनननलिका, योनि अथवा भगोष्ठों की चोट
  • जेर रूकना / फंसना
  • गर्भाशय में मवाद पड़ना (गर्भाशय शोथ/मेट्राइटिस)
  • दुग्ध ज्वर (मिल्क फीवर)

जनननलिका, योनि अथवा भगोष्ठों की चोट

उत्तर प्रदेश के किसानों को कृषि यंत्रों पर छूट

उत्तर प्रदेश के किसानों को कृषि यंत्रों पर छूट

प्रदेश सरकार किसानों को राहत देने व कृषि उपज को बढ़ाने के लिए कृषि यंत्रों व बीज पर अनुदान दे रही है।  किसान रजिस्ट्रेशन कराकर अनुदान योजना का लाभ उठा सकते हैं। कृषि विभाग ने धान की रोपाई में अधिक खर्च को देखते  हुए वीनस पैडी ड्रम सीडर लेने की किसानों को सलाह दी है।

प्रकृति की अव्यवस्था पर एक नज़र

पृथ्वी पर कोई भी जीव एकल जीवन व्यतीत नहीं कर सकता है इसलिए मानव और प्रकृति की परस्पर आत्मनिर्भरता एवं सद्भावनाओं को समाप्त करने से हमारा पारिस्थितिकी तंत्र डगमगा रहा है। पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ती जनसंख्या, औद्योगीकरण, वैभव और ऐश्वर्य प्राप्त करने के उतावलेपन और पर्यावरण पर विजय पाने की लालसा ने प्रतिकूल प्रभाव डाला है। इससे हमारा स्थायी विकास होना तो दूर हम अपना मानसिक संतुलन ही खोते जा रहे हैं। प्रकृति द्वारा करोड़ों वर्ष की यात्रा के उपरान्त बना हमारा प्राकृतिक पर्यावरण मानव की दुश्वृत्तियों के कारण नष्ट होता जा रहा है।

किसान की समृद्धि और विकास मतलब देश की समृद्धि

किसान की समृद्धि और विकास मतलब देश की समृद्धि

भूमि' कृषि प्रधान भारतीय अर्थव्यवस्था का आधार है। देश की दो तिहाई से अधिक आबादी आज भी  कृषि, पशुपालन और इससे सम्बंधित व्यवसायों पर निर्भर है। ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली देश की 70 प्रतिशत से अधिक आबादी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से पूरी तरह भूमि पर निर्भर है, लेकिन हाल के वर्षों में सरकार भूमि अधिग्रहण से ग्रामीण क्षेत्रों की कृषि योग्य निजी और सार्वजनिक जमीन निरन्तर सिकुड़ती जा रही है।

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