पशु आहार के तत्व एवं उनके स्रोत

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पशु आहार के तत्व एवं उनके स्रोत

पशु आहार के तत्व

रासायनिक संरचना के अनुसार कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन, विटामिन तथा खनिज लवण भोजन के प्रमुख तत्व हैं। डेयरी पशु शाकाहारी होते हैं अत: ये सभी तत्व उन्हें पेड़ पौधों से, हरे चारे या सूखे चारे अथवा दाने  से प्राप्त होते हैं।

कार्बोहाइड्रेट - 

कार्बोहाइड्रेट मुख्यत: शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं। इसकी मात्रा पशुओं के चारे में सबसे अधिक होती है । यह हरा चाराभूसा, कड़वी तथा सभी अनाजों से प्राप्त होते हैं।

प्रोटीन - 

हालात बद से बद्तर होने के जिम्मेदार हम किसान

हालात बद से बद्तर होने के जिम्मेदार हम किसान

यहाँ वहां आप लोग देखो अस्पताल मिलेंगे , इतने तादाद में अस्पताल खुले लेकिन सभी अच्छे से चल रहे हैं इसका कारण कोई और नही हम ही हैं इसके  दूरगामी खोज करें तो आप लोग भी पाएंगे कि यह हालात तो बद से बद्तर होते जा रहे है उन सब का जिम्मेदार हम किसान भी हैं सरकारों को निशाना बनाने से अच्छा है कि हम लोग ही सुधर जाएँ 

हनुमान की पूंछ की तरह बढ़ते कृषि ऋण जाते हैं किस सुरसा के मुंह में!

हनुमान की पूंछ की तरह बढ़ते कृषि ऋण जाते हैं किस सुरसा के मुंह में!

हर साल के बजट में सरकार कृषि ऋण का लक्ष्य बढ़ाती जा रही है और पिछले कई सालों से वास्तव में बांटा गया कृषि ऋण घोषित लक्ष्य से ज्यादा रहा है। इस साल के बजट में भी वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने चालू वित्त वर्ष 2012-13 के लिए कृषि ऋण का लक्ष्य बढ़ाकर 5.75 लाख करोड़ रुपए कर दिया है। बीते वित्त वर्ष 2011-12 में यह लक्ष्य 4.75 लाख करोड़ रुपए का था जिसमें से दिसंबर 2011 तक 71.73 फीसदी (3,40,716 करोड़ रुपए) ऋण बांटे जा चुके थे। पिछले आठ सालों से कृषि ऋण के बढ़ने और बंटने का यही सिलसिला चल रहा है।

कृषि कर्ज देने की प्रणाली सरल बनाएं बैंक - राधा मोहन सिंह

कृषि कर्ज देने की प्रणाली सरल बनाएं बैंक - राधा मोहन सिंह

घटते किसान और खेतिहर मजदूर व भूमिहीन किसानों की बढ़ती संख्या गंभीर चिंता का विषय है। इस बड़ी चुनौती से निपटने के लिए बैंकों की भूमिका अहम हो जाती है। केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि ऐसे में कृषि ऋण देने की प्रणाली को सरल और सहज बनाने की जरूरत है।

किसानों की आमदनी को दोगुना करने की सरकार की मंशा को फलीभूत करने के लिए शुरू की गई योजनाओं पर कारगर अमल शुरू कर दिया गया है। इसमें वित्तीय संस्थानों का दायित्व बहुत बढ़ जाता है।

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