कृषि कर्ज देने की प्रणाली सरल बनाएं बैंक - राधा मोहन सिंह
घटते किसान और खेतिहर मजदूर व भूमिहीन किसानों की बढ़ती संख्या गंभीर चिंता का विषय है। इस बड़ी चुनौती से निपटने के लिए बैंकों की भूमिका अहम हो जाती है। केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि ऐसे में कृषि ऋण देने की प्रणाली को सरल और सहज बनाने की जरूरत है।
किसानों की आमदनी को दोगुना करने की सरकार की मंशा को फलीभूत करने के लिए शुरू की गई योजनाओं पर कारगर अमल शुरू कर दिया गया है। इसमें वित्तीय संस्थानों का दायित्व बहुत बढ़ जाता है।
कृषि मंत्री सिंह ने कहा कि कृषि ऋण के वितरण में होने वाली देरी पर तत्काल रोक लगनी चाहिए। इसके लिए पुरानी उलझाऊ प्रणाली को समाप्त कर नई पहल की जरूरत है। सिंह ने कहा कि देश के लगभग सभी राज्यों में भूमि संबंधी सभी दस्तावेज डिजिटल हो चुके हैं। बैंकों को चाहिए कि वे इन्हें ही मान्यता प्रदान कर भौतिक सत्यापन के लिए दस्तावेज की प्रतियां न मांगें।
सिंह नाबार्ड के स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित वार्षिक समारोह में बोल रहे थे। इस मौके पर आयोजित संगोष्ठी का विषय था- वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का सरकार का फैसला। सिंह ने कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने की हमारी सरकार की घोषणा पर कुछ लोगों को यकीन ही नहीं आ रहा था। उनकी नजर में आय बढ़ाने का एकमात्र जरिया समर्थन मूल्य में वृद्धि करना ही था। लेकिन यह तो सिर्फ एक पक्ष है।
कृषि मंत्री ने खेती के विकास के लिए सरकार की पहल को एक-एक कर विस्तार से गिनाया और बताया। इसमें खेती की लागत को घटाना और उत्पादकता को बढ़ाने वाली योजनाएं प्रमुख हैं। उन्होंने कहा कि किसानों को ऋण उनके जन धन बैंक खाता और आधार के साथ मोबाइल बैंकिंग के जरिये मिल जाना चाहिए। चालू वित्त वर्ष में सरकार ने कृषि ऋण के लिए नौ लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया है।
खेती के इनपुट की उपलब्धता के साथ बाजार प्रणाली को सरल बनाने की दिशा में जबर्दस्त पहल की है। मंडी कानून में संशोधन के बारे में बिहार, पंजाब और केरल को छोड़कर देश के सभी राज्य सहमत हो चुके हैं। पहले चरण में 23 मंडियां ई-प्लेटफार्म से जुड़ चुकी हैं। जल्दी ही देश की 585 मंडियां इसका हिस्सा बन जाएंगी। इससे किसानों को अपनी उपज अपनी शर्तों पर बेचने में सहूलियत हो जाएगी।