ट्राइकोडर्मा

ट्राइकोडर्मा पादप रोग प्रबंधन विशेष तौर पर मृदा जनित बिमारियों के नियंत्रण के लिए बहुत की प्रभावशाली जैविक विधि है। ट्राइकोडर्मा एक कवक (फफूंद) है। यह लगभग सभी प्रकार के कृषि योग्य भूमि में पाया जाता है। ट्राइकोडर्मा का उपयोग मृदा - जनित पादप रोगों के नियंत्रण के लिए सफलतापूर्वक किया जा सकता है।ट्राइकोडर्मा एक घुलनशील जैविक फफुंदीनाशक है जो ट्राइकोडर्मा विरडी या ट्राइकोडर्मा हरजिएनम पर आधारित है। ट्राइकोडर्मा फसलों में जड़ तथा तना गलन/सडन उकठा(फ्यूजेरियम ऑक्सीस्पोर्म्, स्केल रोसिया डायलेकटेमिया) जो फफूंद जनित है, में फसलों पर लाभप्रद पाया गया है। धान,गेंहू, दलहनी फसलें, गन्ना, कपास, सब्जियों

तरबूज और खरबूज की खेती में लगने वाले रोग

गर्मी बिन तरबूज और खरबूज के अधूरी सी लगाती है. तरबूज को जहाँ लोग उसके लाल रंग और मिठास के कारण तो वहीँ खरबूज को मिठास के आलावा उसके सुगन्ध के कारण भी पसन्द करते हैं और इसके बीजों की गिरी के बिना मिठाई सजी-सजाई नहीं लगती. खरबूज और तरबूज फलों के सेवन से लू दूर भागती हैं वहीँ इसके रस को नमक के साथ प्रयोग करने पर मुत्राशय में होने वाले रोगों से आराम मिलता है. इनकी 80 प्रतिशत खेती नदियों के किनारे होती है और इन्हें मुख्य रुप से उत्तर प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, महाराष्ट्र, आन्ध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश तथा बिहार में बड़े पैमाने पर उगाया जाता है.

गेहूँ कटाई के बाद फसलों के अवशेष (नरवाई) का करें सदुपयोग, बचाएं महत्वपूर्ण तत्व

गेहूँ कटाई के बाद फसलों के अवशेष (नरवाई) का करें सदुपयोग, बचाएं महत्वपूर्ण तत्व

गेहूं आदि फसलों की कम्बाइन हार्वेस्टर से कटाई उपरांत अधिकांश फसलों के अवशेष या नरवाई खेत में रह जाती है, जिसे जलाया नहीं जाना चाहिए। नरवाई जलाने से हमारे खेतों में मौजूद लाभदायक मित्र कीट नष्ट हो जाते है। साथ ही मिट्टी का तापक्रम बढ़ने से उर्वरा शक्ति भी नष्ट होती है, मिट्टी सख्त हो जाती है। फलस्वरूप जुताई करने पर अधिक मेहनत लगती है और डीजल की लागत भी बढ़ जाती है और मिट्टी की जल धारण क्षमता भी कम हो जाती है। नरवाई जलाने से मिट्टी में कार्बन की मात्रा कम हो जाती है जबकि मिट्टी के उपजाऊपन के लिए कार्बन की मात्रा होना लाभदायक होता है।

मेंथा में आने वाले रोग व् कीट उनकी रोकथाम

बढ़ते तापमान में मेंथा की खेती को सिंचाई की जरूरत ज्यादा होती है.  किसानों को समय पर सिंचाई करनी चाहिए, जहां दिन में तेज धूप हो, सुझाव यही है कि किसान शाम के समय खेतों में पानी लगाएं.फसल प्रबंधन के तहत कीट और रोग से भी फसल को बचाना है. ऐसा इसलिए क्योंकि मेंथा में कई तरह के कीट और रोग फसल को नुकसान पहुंचाते हैं जिससे किसान को कम उत्पादन के साथ नुकसान हो सकता है. आज हम आपको मेंथा (menthe farming) की खेती में लगने वाले कीट और रोगों के बारे में बताने जा रहे हैं.

माहू

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