गन्ने की फसल में सम-सामयिक (अप्रैल व मई माह के) कार्य

गन्ना पच्छिमी उत्तर प्रदेश  की एक प्रमुख फसल है, जिसकी बुआई दिसम्बर से अप्रैल मध्य तक होती है। फरवरी माह में बोयी गई फसल में इस माह (60 दिन की अवस्था पर) सिंचाई के बाद 50 किलोग्राम नत्रजन/ हेक्टेयर (110 किलोग्राम यूरिया) की टॉपड्रेसिंग कर खुदाई करें। शरदकालीन गन्ने में यदि नत्रजन की टॉपड्रेसिंग न की गई हो तो 60 किलोग्राम नत्रजन (132 किलोग्राम यूरिया) की टॉपड्रेसिंग का गुड़ाई कर दें। शरदकालीन गन्ने में यदि अन्तःफसल ली गई हो तो उसकी कटाई के तुरन्त बाद सिंचाई करके यूरिया की टॉपड्रेसिंग करके गुड़ाई करें। 
 

कोरोना वीर धर्मेंद्र सिंह लाठर जिन्होंने 225 क्विंटल गेहूं सरकार को दान दिया

कोरोना वीर  धर्मेंद्र सिंह लाठर जिन्होंने 225 क्विंटल गेहूं सरकार को दान दिया

उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर के किसान ने मिसाल पेश की है। उन्होंने अपने खेत में पैदा हुए 225 क्विंटल गेहूं को लॉकडाउन में जरूरतमंदों को बांटने के लिए जिला प्रशासन को दान कर दिया। जिला प्रशासन ने गेहूं की तौल करा कर रखवा लिया है। अब इस गेहूं को पिसवा कर आटा जरूरतमंदों को वितरित किया जाएगा। यह भी संभव है कि इस गेहूं को बेच कर जिला प्रशासन जरूरतमंदों के लिए अन्य वस्तुएं भी खरीद ले।

लौकी ,तोरई टिंडा आदि फसलों की खेती

गर्मियों में बेल वाली सब्जियाँ जैसे लौकी, तरोई, टिंडा आदि की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। यह तीनों ही फसलें हरी तरकारीओं में आती हैं । इस समय क्योंकि बाजार में जाड़े की सब्जियां आना कम हो जाती है और उपभोक्ता नई हरी ताजी सब्जी का स्वाद लेना चाहते हैं तो ऐसे में इन तीनों ही सब्जियों की मांग बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। गर्मियों में इन सब्जियों की खेती करके प्रति इकाई क्षेत्रफल में अच्छा लाभ कमाया जा सकता है। लौकी, तरोई, टिंडा को लगाने का उचित समय फरवरी का द्वितीय सप्ताह है। अगेती फसल के रूप में किसान दिसंबर के प्रारंभ में पॉली टनेल में नर्सरी तैयार कर सकते हैं और फरवरी के प्रथम सप्ताह में जब ब

हल्दी व अदरक की खेती

किसान साथियों, वैज्ञानिक दृष्टिकोण से हल्दी अदरक लगाने का उचित समय 15 मार्च से 15 अप्रैल है, लेकिन अगर आप ने नहीं लगाया है तो अभी भी समय है और आप इसे लगा सकते हैं। इस समय हल्दी लगाने से बरसात होने तक पौधे बड़े हो जाते हैं व ढेर से पत्ते होने के कारण छाया होने लगती है। जिससे खरपतवार कम उगते हैं। हल्दी और अदरक दोनों को सूरज के सीधे प्रकाश की बहुत ज्यादा जरूरत नहीं होती है, अतः इसे बागों में भी अन्तःशस्य फसल के रूप में भी लगाया जा सकता है।यहाँ ध्यान देने योग्य बात ये है कि जब हम बागों में अन्तःशस्य फसल के रूप में इन फसलों को लगाये तो पौधों को खाद की मात्रा अलग से दें।

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