कोरेना वायरस के चलते लॉकडाउन 2 में कृषि कार्यों पर छूट 20 अप्रैल से

कोरेना वायरस के चलते लॉकडाउन 2 में कृषि कार्यों पर छूट 20 अप्रैल से

सरकार ने कोरोना वायरस महामारी से अछूते क्षेत्रों  या कम से कम प्रभावित क्षेत्रों में 20 अप्रैल से शुरू होने वाली कृषि  सेवाओं और गतिविधियों की एक नई लिस्ट जारी की है. इस सूची में आयुष समेत स्वास्थ्य सेवाओं, कृषि एवं बागवानी गतिविधियों, मछली पकड़ने (समुद्री और अंतर्देशीय), वृक्षारोपण गतिविधियों (अधिकतम 50 प्रतिशत श्रमिक के साथ चाय, कॉफी और रबर) और पशुपालन को रखा गया है. बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  ने कोरोना संकट को काबू में करने के लिए लॉकडाउन  को 3 मई तक के लिए बढ़ा दिया है.  

खेती, हॉर्टीकल्चर, कृषि से जुड़ी गतिविधियों को शुरू करने की इजाज़त दी जाएगी.

मूँग की वैज्ञानिक खेती

दलहनी फसलों में मूँग की खेती कई प्रकार से लाभकारी है। शाकाहारी भोजन में मूँग प्रोटीन का एक प्रमुख स्रोत होने के साथ-साथ फली तोड़ने के पश्चात खेत में पलट देने पर यह हरी खाद का लाभ भी देती है। इसे पशु आहार के लिये भी प्रयोग कर सकते हैं।

भूमि एवं उसकी तैयारी-

मूँग की खेती के लिये दोमट भूमि सर्वोत्तम होती है। यदि नमी की कमी हो तो पलेवा कर दो जुताइयाँ कर या रोटावेटर से खेत तैयार किया जा सकता है। यदि पर्याप्त नमी हो तो जीरो टिल फर्टी सीड ड्रिल से बिना जूते खेत में भी इसकी सीधी बुवाई की जा सकती है।

संस्तुत प्रजातियाँ-

गर्मी की गहरी जुताई व उसका महत्व

गर्मी की गहरी जुताई का अर्थ है गर्मी की तेज धूप में खेत के ढाल के आर-पार विशेष प्रकार के यन्त्रों से गहरी जुताई करके खेत की ऊपरी पर्त को गहराई तक खोलना तथा नीचे की मिट्टी को पलटकर ऊपर लाकर सूर्य तपती किरणों में तपा कर कीटाणुरहित करना है। मानसून पूर्व बौछारों (मई माह में) के साथ गर्मी की गहरी जुताई मृदा को पुनः शक्ति प्रदान करती है।

इस साल मॉनसून सीज़न में झूमकर कर बरसेंगे बदरा

इस साल मॉनसून सीज़न में झूमकर कर बरसेंगे बदरा

जिस मॉनसून की बारिश की बाट पूरा हिंदुस्तान गर्मियों के बाद तकता हैं। आज उस मॉनसून की पहली फोरकास्ट IMD ने जारी कर दी है।

आज IMD (भारतीय मौसम विभाग) ने मॉनसून की पहली LRF (Long Range Forecast) की प्रेस जारी की। जिसमे भारतीय मॉनसून 100% के साथ -5/+5 की त्रुटि रहने का अनुमान जताया है। IMD अपनी अगली चरण की जानकारी मई/जून में देगा। जिसमें किस क्षेत्र में कितनी वर्षा होने का अनुमान बताया जाता है।

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