मार्च में किसान करें इन सब्जियों की बुवाई कमाएं मुनाफा

भिंडी

किसान भिंडी (okra) की अगेती किस्म की बुवाई फ़रवरी से मार्च के बीच कर सकते हैं. यह खेती किसी भी मिट्टी में की जा सकती है. खेती के लिए खेत को दो-तीन बार जोतकर मिट्टी को भुरभुरा कर लेना चाहिए और फिर पाटा चलाकर समतल कर बुवाई करनी चाहिए. बुवाई कतार में करनी चाहिए. बुवाई के 15-20 दिन बाद पहली निराई-गुड़ाई करना बहुत ज़रूरी है.

उन्नत किस्में- हिसार उन्नत, वी आर ओ- 6, पूसा ए- 4, परभनी क्रांति, पंजाब- 7, अर्का अनामिका, वर्षा उपहार, अर्का अभय, हिसार नवीन, एच बी एच.

करेला

सूरजमुखी की खेती

सूरजमुखी की बुवाई ज़ायद सीजन में फरवरी के दूसरे पखवार में करना उपयुक्त माना जाता है. बता दें कि यह फूल  सूरज की दिशा में मुड़ जाता है, इसलिए इसको सूरजमुखी कहा जाता है. यह एक महत्तवपूर्ण तिलहनी फसल है, जिसमें तेल, अच्छे स्वाद और लिनोलिक एसिड की मात्रा पाई जाती है. किसानों के लिए सूरजमुखी की खेती (Farming of sunflower) की काफी अच्छी मानी जाती है, तो आइए आज आपको सूरजमुखी की खेती की सारी जानकारी देते हैं.

उपयुक्त जलवायु और मिट्टी

पीएम किसान सम्मान निधि योजना एप शुरू स्थिति की जांच या आधार ,नाम आदि पर सुधार सम्भव

किसान सममान योजना एप शुरू स्थिति की जांच  या आधार आदि के नाम पर सुधार सम्भव

पीएम किसान सम्मान निधि योजना की पहली वर्षगांठ पर विशेष मोबाइल ऐप को पेश करते हुए उन्होंने यह भी कहा कि यह योजना किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य में सहायक है। नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि योजना को आसानी से व्यापक स्तर पर पहुंचाने के लिए यह ऐप विकसित किया गया है। यह साल 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने के लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। बता दें पीएम-किसान योजना की शुरुआत 24 फरवरी 2019 को उत्तर प्रदेश में की गई थी और पश्चिम बंगाल को छोड़कर सभी राज्य इस योजना को लागू कर रहे हैं।

अग्निमंथ की उन्नत खेती

बड़ी अरणी क्या है? 

बड़ी अरणी का पेड़ पहाड़ों पर पाया जाता है. बड़ी अरणी और छोटी अरणी में मुख्य अंतर यह है कि बड़ी अरणी का तना काफी बड़ा और मजबूत होता है. इसकी शाखाएं भी विपरीत दिशाओं में दूर तक फैली होती हैं जबकि छोटी अरणी का पौधा आकार में छोटा होता है. ग्रंथों के अनुसार बड़ी अरणी की तासीर गर्म होती है और अग्नि की तरह इसमें रोगों को तुरंत खत्म करने की क्षमता होती है. इसीलिए इसे संस्कृत में अग्निमंथ नाम दिया गया है. 

 

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