आम के पेड़ों में लगता है यह रोग, ऐसे करें बचाव

जनवरी महीने में आम के पेड़ों में बौर आना शुरू हो जाता है। इस लिए किसानों को अच्छा उत्पादन पाने के लिए अभी से देखभाल करनी इसकी देखभाल करनी होगी। क्योंकि अगर ज़रा सी चूक हुई तो रोग और कीट पूरी फसल को बर्बाद कर सकते हैं।

फलों का राजा आम हमारे देश का सबसे महत्वपूर्ण फल है। इसकी खेती उत्तर प्रदेश, बिहार, आन्ध्र प्रदेश, पश्चिमी बंगाल, तमिलनाडु, उडीसा, महाराष्ट्र, और गुजरात में व्यापक स्तर पर की जाती है।

कृषि कुम्भ के नाम से प्रख्यात पन्त नगर विश्विद्यालय में किसान मेला में जुटे कई प्रदेशों के किसान

कृषि कुम्भ के नाम से प्रख्यात पन्त नगर विश्विद्यालय में किसान मेला में जुटे कई प्रदेशों के किसान

कृषि कुम्भ में आज प्रदेश अन्य प्रदेशों के हजारों किसानों ने भाग लिया मेले में पंतनगर विश्वविद्यालय द्वारा विभिन्न विषयों पर वैज्ञानिकों द्वारा व्याख्यान में किसानों ने जानकारी प्राप्त की ।मेले में आधुनिक प्रकार के कृषि यंत्रों व कृषि सहायक वस्तुएं देखने को मिली।
विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं द्वारा अच्छे-अच्छे मॉडल जो आधुनिक कृषि को दिखाते हुए बनाए गए थे रखे हुए थे मेले में विश्वविद्यालय के अलावा तमाम सरकारी संस्थानों कृषि विभाग तथा हॉर्टिकल्चर सीमैप आदि के भी स्टाल लगे हुए हैं।

शंखपुष्पी की खेती

पुष्पभेद से शंखपुष्पी की तीन जातियाँ बताई गई हैं। श्वेत, रक्त, नील पुष्पी। इनमें से श्वेत पुष्पों वाली शंखपुष्पी ही औषधि मानी गई है।मासिक धर्म मे सहायक है। शंखपुष्पी के क्षुप प्रसरणशील, छोटे-छोटे घास के समान होते हैं। इसका मूलस्तम्भ बहुवर्षायु होता है, जिससे 10 से 30 सेण्टीमीटर लम्बी, रोमयुक्त, कुछ-कुछ उठी शाखाएँ चारों ओर फैली रहती हैं। जड़ उंगली जैसी मोटी 1-1 इंच लंबी होती है। सिरे पर चौड़ी व नीचे सकरी होती है। अंदर की छाल और लकड़ी के बीच से दूध जैसा रस निकलता है, जिसकी गंध ताजे तेल जैसी दाहक व चरपरी होती है। तना और शाखाएँ सुतली के समान पतली सफेद रोमों से भरी होती हैं। पत्तियाँ 1 से 4 सेण्

मार्च माह में कौन सा कृषि कार्य करें ?

 मौसम फसलों को बहुत प्रभावित करता है. इसलिए तो रबी, खरीफ और जायद तीनों ही सीजन में अलग- अलग फसलों की खेती की जाती है ताकि फसल की अच्छी पैदावार ली जा सकें. ऐसे में आइये जानते है कि मार्च माह के कृषि एवं बागवानी कार्य 

गेहूं

  • बुवाई के समय के अनुसार गेहूं में दाने की दुधियावस्था में 5वीं सिंचाई बुवाई के 100-105 दिन की अवस्था पर और छठीं व अन्तिम सिंचाई बुवाई के 115-120 दिन बाद दाने भरते समय करें.

    • गेहूं में इस समय हल्की सिंचाई (5 सेंमी) ही करें. तेज हवा चलने की स्थिति में सिंचाई न करें, अन्यथा फसल गिरने का डर रहता है.

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