माननीय प्रधानमंत्री जी के जनता कर्फ्यू को समर्थन ,सतर्कता बरतने से नियंत्रित किया जा सकता है कोरेना

विश्वव्यापी महामारी जिसने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया, दुनिया के सभी देश जिससे भयभीत हो गए वो कोरेना वायरस हमारे देश में भी पैर पसार रहा है।कुछ पढ़े लिखे मूर्ख जो खुद को वी आई पी समझते हैं वह भी गलती कर रहे हैं।
किसान हैल्प के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ आर के सिंह ने कहा कि हम देश के किसान इस महामारी को हराने के लिए तैयार है माननीय प्रधानमंत्री जी ने22 मार्च को जनता कर्फ्यू का जो आह्वान किया है मैं उसका समर्थन करता हूँ।
साथ ही उन्होंने सभी देशवासियों से निवेदन करते हुए कहा कि मैं सभी से करबद्ध निवेदन करता हूँ कि आप स्वंय जनता कर्फ्यू में सम्मिलित हो और लोगों को प्रेरित करें।

गन्ने के साथ सहफसली मैं ले सकते हैं मूंग और उड़द

  गन्ने के साथ  सहफसली मैं  ले सकते हैं मूंग और उड़द

किसान अपने गन्ने की बुवाई में सही फसली के रूप में ग्रीष्मकालीन उड़द बाबू की बुवाई कर सकते हैं। गन्ना जो अक्टूबर में लगाया गया था मैं काफी बड़ा हो चुका है उसमें इसे सही पसली के रूप में नहीं ले सकते परंतु जो गन्ना फरवरी और मार्च में बुवाई हुई है उनके बीच में 60 दिन की मूंग या उड़द की फसल को आसानी से लिया जा सकता है।
बसंत कालीन गन्ने में खीरा की फ़सल भी किसानों को लाभकारी सिद्ध होती है।

मक्का की उन्नत खेती

मक्का खरीफ ऋतु की फसल है, परन्तु जहां सिचाई के साधन हैं वहां रबी और खरीफ की अगेती फसल के रूप मे ली जा सकती है। मक्का कार्बोहाइड्रेट का बहुत अच्छा स्रोत है। यह एक बहपयोगी फसल है व मनुष्य के साथ- साथ पशुओं के आहार का प्रमुख अवयव भी है तथा औद्योगिक दृष्टिकोण से इसका महत्वपूर्ण स्थान भी है। चपाती के रूप मे, भुट्टे सेंककर, मधु मक्का को उबालकर कॉर्नफलेक्स पॉपकार्न लइया के रूप मे आदि के साथ-साथ अब मक्का का उपयोग कार्ड आइल, बायोफयूल के लिए भी होने लगा है। लगभग 65 प्रतिशत मक्का का उपयोग मुर्गी एवं पशु आहार के रूप मे किया जाता है। साथ ही साथ इससे पौष्टिक रूचिकर चारा प्राप्त होता है। भुट्टे काटने के ब

मेंथा की नई तकनीक से मिलेगा कम समय में अधिक उत्पादन

कुछ कारक मेंथा की उत्पादकता पर विपरीत प्रभाव डालते हैं। जैसे- फसल उत्पादन के लिए समय का आभाव, दूसरी कटाई की कम सम्भावनाएं और कम उत्पादकता, फसल की अधिक पानी की आवश्यकता, खरपतवार की समस्या और नियंत्रण पर अधिक खर्च।
इन कारकों को दूर करने के लिए सीमैप (केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान) ने अगेती मिंट का विकास किया है, जिससे किसानों को कम समय में अधिक उत्पादन मिलता है।

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