कर्जमाफी किसानों के हालत का मजाक
Submitted by Aksh on 14 October, 2017 - 10:26"बचपन की बात याद आ जाती है ऋण मोचन कार्यक्रम में बिल्कुल वही सभी कुछ बही बस समय और परिस्थितियों के अलावा कुछ नहीं बदला। गाँव में पहले मदारी आता था डमरू और ढोल नगाड़ों को बजा कर भीड़ को बुलाता फिर दोपहर को गांव के बीच फुर्सत में बन्दर केे खेल दिखाता।लोग ताली बजा कर पैसे देते।आज भी बही सब । किसानों का खेल तमाशा ।"