ड्रेगन फ्रूट की खेती

आम तौर पर ड्रेगन फ्रूट थाइलैंड, वियतनाम, इज़रायल और श्रीलंका में लोकप्रिय है। बाजार में 200 रु से 250 रु तक दाम मिलने की वजह से हाल के दिनों में भारत में भी इसकी खेती का प्रचलन बढ़ा है। कम वर्षा वाले क्षेत्र इसकी खेती के लिए उपयुक्त माने जाते हैं। ड्रेगन फ्रूट के पौधे का उपयोग सजावटी पौधे के साथ साथ ड्रेगन फ्रूट उपजाने के लिए होता है। ड्रेगन फ्रूट को ताजे फल के तौर पर खा सकते हैं साथ ही इस फल से जैम, आइस क्रीम, जैली, जूस और वाइन भी बना सकते हैं। सौंदर्य प्रसाधन के तौर पर भी इसे फेस पैक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।

सरकार की सख्ती और लोगों के समझाने के बाद भी किसानों नें जलाई पराली

स्वामीनाथन ने सुझाए पराली जलाने को रोकने के उपाय

पराली के जलाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट और सरकार की धमकी को नजरअंदाज करते हुए किसान पराली को द्धह्ल्ले से जला रहे हैं I गेहूं एवं दलहन की कटाई के बाद खेतों में बचे फसल के अबशेष पर एक तरफ सरकार सख्त नियम बना रही हैं वही दूसरी ओर किसान उन नियमों को नजरअंदाज करते हुए पराली को जला रहे है I उत्तर प्रदेश ,पंजाब ,राजस्थान ,बिहार ,मध्य प्रदेश से लगातार पराली जलने की सूचनाये लगातार आ रही हैं Iइससे दिल्ली एनसीआर में दमघोंटू स्मॉग जैसी घटनाये भी बड रही हैं I  

 

बरेली जिले में कई स्थानों पर किसानों द्वारा परली जलाई गयी है I जिला प्रशासन द्वारा इसके लिए कोई ठोस कदम नही उठाये गए हैं I 

पशुओं में बांझपन कारण और उपचार

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पशुओं में बांझपन  कारण और उपचार

भारत में डेयरी फार्मिंग और डेयरी उद्योग में बड़े नुकसान के लिए पशुओं का बांझपन ज़िम्मेदार है. बांझ पशु को पालना एक आर्थिक बोझ होता है और ज्यादातर देशों में ऐसे जानवरों को बूचड़खानों में भेज दिया जाता है.

पशुओं में, दूध देने के 10-30 प्रतिशत मामले बांझपन और प्रजनन विकारों से प्रभावित हो सकते हैं. अच्छा प्रजनन या बछड़े प्राप्त होने की उच्च दर हासिल करने के लिए नर और मादा दोनों पशुओं को अच्छी तरह से खिलाया-पिलाया जाना चाहिए और रोगों से मुक्त रखा जाना चाहिए.

बांझपन के कारण

ग्वारपाठा के पौधे के रोग

ग्वारपाठा या घृतकुमारी (aloevera) कांटेदार पत्तियों वाला पौधा हैं, जिसमें रोग को दूर करने के बहुत सारे गुण भरे होते हैं। यह भारत के गर्म जगहों में पाया जाने वाला एक बारहमासी पौधा हैं और लिलिएसी परिवार से संबंधित हैं। आयुर्वेद में इसे घृतकुमारी के नाम से जाना जाता है । ग्वारपाठा की 200 जातियां होती हैं, परंतु इसकी 5 जातियां ही मानव शरीर के लिए उपयोगी हैं। यह खून की कमी को दूर करता हैं तथा शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता हैं। पत्तियों का रस माइकोबैक्टीरियम क्षयरोग के विकास को रोकता हैं। यह एंटीइन्फ्लामेंटरी, एंटीसेप्टिक, एंटी अलसर, एंटी टूमओर और मधुमेह के उपचार में कारगर हैं। अर्द्ध ठो

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