आंकड़ों और प्रयोगों ने किया भारतीय कृषि का सत्यानाश

आंकड़ों और प्रयोगों ने किया भारतीय कृषि का सत्यानाश

भारत में ऋग्वैदिक काल से ही कृषि पारिवारिक उद्योग रहा है। लोगों को कृषि संबंधी जो अनुभव होते रहे हैं, उन्हें वे अपने बच्चों को बताते रहे हैं। उनके अनुभवों ने कालांतर में लोकोक्तियों और कहावतों का रूप धारण कर लिया, जो विविध भाषा-भाषियों के बीच किसी न किसी कृषि पंडित के नाम प्रचलित हैं। हिंदी भाषा-भाषियों के बीच ये 'घाघ' और 'भड्डरी' के नाम से प्रसिद्ध हैं। उनके ये अनुभव आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधानों के परिप्रेक्ष्य मे खरे उतरे हैं, लेकिन आधुनिकता की अंधी दौड़ में हम विदेशियों की तरफ आकृष्ट होने लगे हैं।

 

बड़ते तापमान पर करते रहे सूक्ष्म सिंचाई

बड़ते तापमान पर करते रहे सूक्ष्म सिंचाई

देश भर में बड़ते तापमान के कारण किसान बहुत चिंतित हैं फसलों का बुरा हाल है खेत सुख रहे है I उत्तर भारत में धान ,गन्ना , सब्जियां ,सोयाबीन जो की प्रमुख फसलें हैं सभी लगी हुई फसलें सूख रही है I जिनकी अभी बोबानी होनी हैं किसान उनकी बोनानी करने में कतरा रहे है उधर देश के सभी राज्यों में सिंचाई की सभी ब्यवस्था लगभग ठप पड़ी हैं तालाब  व पोखरों में पानी नही है नहरों में भी पानी पूरी तरह से पर्याप्त नही है I 

मॉडल कृष‌ि लैंड लीज‌िंग एक्ट से उपज बढ़ने के साथ बदलेगी खेती की तकदीर

मॉडल कृष‌ि लैंड लीज‌िंग एक्ट से उपज बढ़ने के साथ बदलेगी खेती की तकदीर

देश में किसानों की स्थिति सुधारने के लिए यह जरूरी है कि ऐसे उपाय किए जाएं जिससे न सिर्फ उनकी आय बढ़े बल्कि फसल की पैदावार भी अधिक हो। हमारे यहां कुछ किसानों के पास काफी जमीन है और कुछ के पास कम। जिनके पास ज्यादा जमीन है वे खेत किराए पर उठाने (एग्रीकल्चर टीनेंसी) से इसलिए डरते हैं कि कहीं उनकी जमीन न चली जाए। दूसरी ओर, ऐसे किसान भी हैं जो टीनेंसी के तहत ली गई जमीन पर कर्ज, बीमा जैसी सुविधाएं नहीं मिलने से जमीन लेने से हिचकते हैं। ऐसे में नीति आयोग ने मॉडल कृषि लैंड लीजिंग एक्ट का मसौदा बनाया है, जिसमें दोनों के हितों का ध्यान रखा गया है। भारत के अधिकांश किसान गरीबी और कर्ज के जाल में फंसे हु

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