कम होती कृषि जोंतों का विकल्प हो सकती है वर्टिकल खेती

कम होती कृषि जोंतों  का विकल्प हो सकती है वर्टिकल खेती

आबादी बढ़ने के साथ कम होती कृृषि योग्य भूमि को देखते हुए जयपुर में वर्टिकल खेती (खड़ी खेती) का सफल प्रयोग किया जा रहा है। खास बात यह है कि इसमें रासायनिक खाद व कीटनाशक दवाओं का उपयोग नहीं होता यानि उत्पादन पूरी तरह आर्गेनिक है।

जयपुर स्थित सुरेश ज्ञान विहार विश्वविद्यालय में पिछले एक साल से वर्टिकल खेती पर रिसर्च हो रही है और परिणाम बहुत ही सकारात्मक आए हैं। इस शोध के बाद आम लोग अपनी छतों पर भी अपने उपयोग लायक सब्जियां पैदा कर सकेंगे। इसके लिए न तो मिट्टी की जरूरत होगी और न तेज धूप की।

पंतनगर में किसान मेला एवं कृषि उद्योग प्रदर्शनी का आयोजन 4 मार्च से

पंतनगर में किसान मेला  एवं कृषि उद्योग प्रदर्शनी का आयोजन 4 मार्च से

 ‘‘कृषि कुम्भ’’ नाम से विख्यात ‘अखिल भारतीय पन्तनगर किसान मेला एवं कृषि उद्योग प्रदर्शनी’ का 101 वां आयोजन पन्तनगर में 4 मार्च से 7 मार्च तक होगा।

जी बी पन्त कृषि एवं प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय, पन्तनगर के निदेशक, प्रसार शिक्षा वाई.पी.एस. डबास ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि इस मेले में विभिन्न फसलों एवं सब्जियों के नवीनतम पद्धति से लगाये गये प्रदर्शनों का अवलोकन कराया जायेगा तथा आने वाली रबी की फसलों, सब्जियों की अधिक उपज देने वाली प्रमाणित तथा अधारीय बीज एवं फल वृक्षों के पौधे भी उपलब्ध कराये जायेंगे।

गाय की महत्ता कृर्षि प्रधान देश का किसान ही जाने

भारत के परिपेक्ष्य में गाय के महत्व 
भारत किसानों का देश है, भारत गावों का देश है | आज भी भारत की करीब ७०% जनता गावों में रहती है और खेती पर निर्भर है | खेती के लिए कुछ चीजें बहुत जरुरी होती हैं जैसे खाद, खेत की जुताई और खाने के लिए सस्ता पर पौष्टिक खाना | पर आज की दिन दुनी रात चौगुनी रफ़्तार से बढ़ रही महंगाई के वजह से खेती करना एवरेस्ट चढ़ने के समान हो गया है |

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