केंद्र सरकार ने हटाया आयात शुल्क, किसानों में रोष

 केंद्र सरकार ने हटाया आयात शुल्क, किसानों में रोष

कृषि मंत्रालय लगातार कहता आ रहा है कि 2015-16 में भारत में बड़े स्तर पर गेहूं की पैदावार हुई थी। इसके अलावा मंत्रालय ने अगले साल की पैदावार का अनुमान भी काफी ज्यादा बताया था। यानी किसानों को अच्छी कमाई होने के बात कही जा रही थी।

मगर, गेहूं की बुवाई के समय केंद्र सरकार ने गेहूं से आयात शुल्क हटा दिया है, जिससे केंद्रीय कृषि मंत्रालय के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। अब तक भारतीय व्यापारी करीब 35 लाख टन गेहूं के आयात के लिए अनुबंध कर चुके हैं।

जब खेत नहीं रहेंगे

जब खेत नहीं रहेंगे

कृषि योग्य ज़मीन को लेकर जो आंकड़े दे रहे हैं वे भविष्य की बहुत ही भयानक तस्वीर दिखा रहे हैं। उनका कहना है कि केन्द्र और राज्य सरकारें मिलकर विगत 10 वर्षों में 21 लाख हेक्टेयर खेती लायक ज़मीन दूसरे कामों के लिए अधिग्रहीत कर चुकी है। जमीन अधिग्रहण पर सरकार की नीति वास्तव में ऐसी है कि अगले 10 वर्षों में लोगों के सामने भूखों मरने की नौबत आ सकती है। हमारे देश की लगभग 70 फीसदी आबादी खेती पर निर्भर है। पालेकर मानते हैं कि बढ़ते शहरीकरण और औद्योगीकरण के चलते गैर कृषि कार्यों के लिए जमीन की जरूरत बढ़ी है,और सरकार इस जरूरत को पूरी करने के लिए खेती लायक ज़मीनों का अधिग्रहण कर रही है। वास्तव में आबादी उतना

माह वार करें सब्जियों की खेती

संबंधित महीनों में उगाई जाने वाली सब्जियों का विवरण निम्‍नानुसार है :
माह फसलें
जनवरी
राजमा, शिमला मिर्च, मूली, पालक, बैंगन, चप्‍पन कद्दू
फरवरी
राजमा, शिमला मिर्च, खीरा-ककड़ी, लोबिया, करेला, लौकी, तुरई, पेठा, खरबूजा, तरबूज, पालक, फूलगोभी, बैंगन, भिण्‍डी, अरबी, एस्‍पेरेगस, ग्‍वार
मार्च
ग्‍वार, खीरा-ककड़ी, लोबिया, करेला, लौकी, तुरई, पेठा, खरबूजा, तरबूज, पालक, भिण्‍डी, अरबी
अप्रैल
चौलाई, मूली
मई 
फूलगोभी, बैंगन, प्‍याज, मूली, मिर्च

अब हर जलवायु में बोएं नरेंद्र हल्दी की नई प्रजाति

अब हर जलवायु में बोएं नरेंद्र हल्दी की नई प्रजाति

आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक की मेहनत रंग लाई। उनकी ईजाद की गई हल्दी की नई प्रजाति एनडीएच-98 सभी प्रकार की जलवायु के लिए मुफीद पाई गई है। इसे न सिर्फ देश के सभी प्रांतों में उगाया जा सकेगा, बल्कि यह गुणवत्ता व मात्रा में भी श्रेष्ठ पाई गई।
हाल में ही राजस्थान में आयोजित राष्ट्रीय बीजीय मसाला अनुसंधान केंद्र में आयोजित कार्यशाला में हल्दी की इस प्रजाति को रिलीज करने की अनुमति मिली। यह प्रजाति अब रिलीज हो चुकी है। इस प्रजाति ने देशभर में नरेंद्रदेव कृषि विश्वविद्यालय व शोधकर्ता डॉ. विक्रमा प्रसाद पांडेय के कार्य का लोहा मनवाया है।

Pages