केंद्र सरकार ने हटाया आयात शुल्क, किसानों में रोष
कृषि मंत्रालय लगातार कहता आ रहा है कि 2015-16 में भारत में बड़े स्तर पर गेहूं की पैदावार हुई थी। इसके अलावा मंत्रालय ने अगले साल की पैदावार का अनुमान भी काफी ज्यादा बताया था। यानी किसानों को अच्छी कमाई होने के बात कही जा रही थी।
मगर, गेहूं की बुवाई के समय केंद्र सरकार ने गेहूं से आयात शुल्क हटा दिया है, जिससे केंद्रीय कृषि मंत्रालय के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। अब तक भारतीय व्यापारी करीब 35 लाख टन गेहूं के आयात के लिए अनुबंध कर चुके हैं।
वहीं, 18 लाख टन गेहूं देश में आयात किया जा चुका है। 2 अगस्त को कृषि भवन द्वारा जारी किए गए आकड़ों के मुताबिक, 2016-17 में देश में 93.50 मिलियन टन गेहूं के उत्पादन का अनुमान व्यक्त किया था।
यह 2014-15 में 86.53 मिलियन टन से काफी ज्यादा था। सूत्रों के मुताबिक सरकार के आयात शुल्क हटाने के फैसले के बाद देश में 2016-17 में गेहूं का आयात 60 लाख टन को पार करने की संभावना है, जो निजी व्यापारियों के जरिये पिछले 10 साल में होने वाला सर्वाधिक आयात है।
क्यों लगाया जाता है आयात शुल्क
कारण, यदि बाहर से सस्ता गेहूं आएगा, तो किसानों को भी सस्ता गेहूं बेचने पर मजबूर होना पड़ेगा। गौरतलब है कि किसी भी वस्तु पर आयात शुल्क इसलिए लगाया जाता है, ताकि आयातित वस्तु का दाम भी देसी उत्पाद के बराबर का हो जाए।
शून्य कर दिया आयात शुल्क
सरकार की ओर से वित्त मंत्री अरुण जेटली ने लोकसभा में गेहूं पर आयात शुल्क हटाने संबंधी अधिसूचना सदन के पटल पर रखी थी। उन्होंने कहा था कि 8 दिसंबर 2016 को जारी अधिसूचना के अनुसार, गेहूं पर आयात शुल्क 10 प्रतिशत से घटाकर शून्य कर दिया गया है, जो तत्काल प्रभाव से लागू होगा।
सरकार ने इससे पहले इस साल सितंबर में गेहूं के आयात पर शुल्क 25 प्रतिशत से कम करके 10 प्रतिशत कर दिया गया था। इस तरह से सरकार को राजस्व की प्राप्ति भी होती है तथा देसी उत्पादकों के हित भी प्रभावित नहीं होते हैं।
उत्तर प्रदेश और पंजाब में सर्वाधिक पैदावार
गौरतलब है कि देश में सबसे अधिक गेहूं की पैदावार उत्तर प्रदेश और पंजाब में होती है। गेहूं के उत्पादन के मामले में उत्तर प्रदेश पहले नंबर पर तथा पंजाब दूसरे नंबर पर है। उत्तर प्रदेश की 76 प्रतिशत आबाद और पंजाब की 63 फीसद आबादी खेती पर ही निर्भर है।