दो हजार कुंतल गन्ना पी जाते हैं कीट
सुनकर हैरत हो सकती है कि साल भर में दो हजार कुंतल गन्ने का रस कीड़े पी जाते हैं। इनमें सबसे खतरनाक कीट सफेद गिडार और व्हाइट गर्ब है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि अंधाधुंध रासायनिक खाद के इस्तेमाल से भूमि की उर्वरा शक्ति में 30 फीसदी तक गिरावट आई है। यदि गन्ना पैदावार बढ़ानी है तो किसानों को जागरूक होना पड़ेगा। शोध पर एक नजर राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) के जिला प्रभारी महेश कुमार खोखर गन्ने की फसल पर कई माह से शोध कर रहे हैं। अमूमन गन्ने में दीमक, सफेद गिडार, व्हाइट गर्ब, तना छेदक, चोटी भेदक, अगोला भेदक, गुरदासपुर भेदक और टिड्डी आदि कीट हमला करते हैं। इनमें सबसे घातक कीट सफेद गिडार और व्हाइट गर्ब को माना गया है। ये दोनों कीट यदि फसल में लग जाएं तो उसे बर्बाद कर देते हैं। ऐसे हुई गणना प्रतिवर्ष जिले में कुल गन्ना रकबा 65 से 70 हजार हेक्टेयर के बीच रहता है। प्रति हेक्टेयर 700 से 800 कुंतल गन्ना निकलता है। ये कीट लगभग तीन हेक्टेयर फसल को बर्बाद कर देते हैं। यानी, प्रतिवर्ष पेड़ी और पौधा गन्ने का 2000 हजार कुंतल गन्ने का रस पी जाते हैं। ये है नियंत्रण के उपाय कीटों पर यदि नियंत्रण करना है तो रासायनिक खादों का इस्तेमाल कम करना होगा। महेश कुमार बताते हैं कि, जैव उर्वरकों का इस्तेमाल करने से उत्पादकता में भी बढ़ोतरी होगी। काला चिक्टा का भी खतरा अभी गन्ने की अगैती फसल की बुआई हो रही है। अप्रैल माह से जून तक काला चिक्टा का प्रकोप रहता है, इसकी मुख्यत: चार प्रजातियां पाई जाती हैं, जिसमें इस क्षेत्र में मुख्यत कैबेलेरियस एक्स कैबेट्स का प्रकोप सबसे ज्यादा होता है। इस कीट के शिशु तथा वयस्क दिन में गोभ के अंदर छिप कर बैठ जाते हैं तथा रात्रि में बाहर निकल कर पत्तियों तथा पर्णच्छदों से रस चूसते हैं। ऐसे करें काबू काला चिक्टा के नियंत्रण में फास्फामिडान ऐड्नि (0.02प्रतिशत) इंडोसल्फान, किव्वालफास क्लोरपायरिफास (0.2 किग्रा/हेक्टेयर) डाइक्लोरवांस (0.25 किग्रा/हेक्टेयर) मैलियआनसेवीडाल अथवा इंडोसल्फान के (0.025 प्रतिशत) घोल का प्रयोग किया जा सकता है। 670 मिली/हेक्टेयर यूरिया के 8 सौ लीटर पानी में बने घोल का पैरचलित छिड़काव करके इस कीट पर नियंत्रण पाया जा सकता है।उसके 15 दिनों के बाद साडा वीर और एक्टिव एग्री का घोल 1/2 किलो प्रति 2 एकड़ छिड़काब करना चाहिए
साभार दैनिक जागरण