ज्वार

ज्वार (Sorghum vulgare ; संस्कृत : यवनाल, यवाकार या जूर्ण) एक प्रमुख फसल है। ज्वार कम वर्षा वाले क्षेत्र में अनाज तथा चारा दोनो के लिए बोई जाती हैं। र विश्‍व की एक मोटे अनाज वाली महत्‍वपूर्ण फ़सल है। वर्षा आधारित कृषि के लिये ज्‍वार सबसे उपयुक्‍त फ़सल है। ज्‍वार फ़सल का दोहरा लाभ मिलता है। मानव आहार के साथ-साथ पशु आहार के रूप में इसकी अच्‍छी खपत होती है। ज्‍वार की फ़सल कम वर्षा में भी अच्‍छा उपज दे सकती है। एक ओर जहाँ ज्‍वार सूखे का सक्षमता से सामना कर सकती है, वहीं कुछ समय के लिये भूमि में जलमग्‍नता को भी सहन कर सकती है। ज्‍वार का पौधा अन्‍य अनाज वाली फ़सलों की अपेक्षा कम प्रकाश संश्‍लेशण एवं प्रति इकाई समय में अधिक शुष्‍क पदार्थ का निर्माण करता है। ज्‍वार की पानी उपयोग करने की क्षमता भी अन्‍य अनाज वाली फ़सलों की तुलना में अधिक है। वर्तमान समय में भारत में ज्वार की खेती मध्य प्रदेश, उडीसा, उत्तर प्रदेश तथा पंजाब राज्यों में बहुतायत में की जाती है। ज्‍वार के दाने का उपयोग उच्‍च गुणवत्‍ता वाला एल्‍कोहल बनाने में भी किया जाता हैं।ज्वार जानवरों का महत्वपूर्ण एवं पोष्टिक चारा हैं। भारत में यह फसल लगभग सवा चार करोड़ एकड़ भूमि में बोई जाती है। यह खरीफ की मुख्य फसलों में है। यह एक प्रकार की घास है जिसकी बाली के दाने मोटे अनाजों में गिने जाते हैं।
ज्वार कई प्रकार की होती है जिनके पौधों में कोई विशेष भेद नहीं दिखाई पड़ता। ज्वार की फसल दो प्रकार की होती है, एक रबी, दूसरी खरीफ। मक्का भी इसी का एक भेद है। इसी से कहीं कहीं मक्का भी ज्वार ही कहलता है। ज्वार को जोन्हरी, जुंडी आदि भी कहते हैं। इसके डंठल और पौधे को चारे के काम में लाते हैं और 'चरी' कहते हैं। इस अन्न के उत्पत्तिस्थान के संबंध में मतभेद है। कोई कोई इसे अरब आदि पश्चिमी देशों से आया हुआ मानते हैं और 'ज्वार' शब्द को अरबी 'दूरा' से बना हुआ मानते हैं, पर यह मत ठीक नहीं जान पड़ता। ज्वार की खेती भारत में बहुत प्राचीन काल से होती आई है। पर यह चारे के लिये बोई जाती थी, अन्न के लिये नहीं।
उत्पादक देश - संयुक्त राज्य अमेरिका, भारत, पाकिस्तान, रुस, चीन
तापमान - 25 से 35 से.ग्रे.
वर्षा - 40 से 60 सेमी.
मिट्टी - भारी दोमट, हल्की दोमट और एल्यूवियल

ज्वार की उन्नत खेती

भारत वर्ष में 1970 में 9 मि. टन ज्वार पैदा होती थी जो 1980 में बढ़कर 12 मि. टन पहुँच गई तथा 1990 में इतनी ही पैदावार स्थिर रही जो 2006 तक स्थिर रही लेकिन इसका क्षेत्रफल काफी कम हो गया। क्षेत्रफल कम होने के बावजूद पैदावार में कमी न आने का कारण उन्नत किस्में व तकनीकी रही। भारत में ज्वार 8.7 मि.है. क्षेत्रफल में जिसमें 3.9 मि.है. खरीफ में तथा 4.8 मि.है. रबी मौसम में उगाई जाती है। दुनिया में ज्वार के अन्तर्गत, कुल क्षेत्रफल का 20 प्रतिशत क्षेत्र भारत में आता है। खरीफ के मौसम में उत्पादकता 1345 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर तथा रबी में 480 कि.ग्रा.