भिंडी

भिंडी में कीट और बीमारियों के लक्षण, बचाव

भिंडी गर्मी और बारिश के मौसम में उगाई जाने वाली महत्वपूर्ण फसल है. बाजार में भिंडी की ज्यादातर मांग होने से किसानों को अच्छा-खासा भाव मिल जाता है, जिससे उनकी बहुत अच्छी आमदनी होती है, लेकिन कई बार भिंडी की फसल में कुछ कीड़े और बीमारियां लग जाती हैं, जिससे फसल की पैदावार और गुणवत्ता पर बुरा प्रभाव पड़ता है. अगर भिंडी की खेती से अच्छी उपज लेनी है, तो फसल को कीटों और बीमारियों से बचाना बहुत ज़रूरी है. आइए आपको भिंडी की फसल की प्रमुख बीमारियां और उनके रोकथाम की जानकारी देते हैं.

प्रमुख बीमारियां और उनकी रोकथाम

भिण्डी की फसल में कीटों से निपटने का जैविक तरीका

विभिन्न सब्जियों के बीच भिंडी बड़े पैमाने पर पैदा की जाती है। पिछले कुछ सालों से इसके उत्पादन में थोड़ी कमी आई है जिसका कारण फसल को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों, रोगों और सूत्रकृमि में हो रही वृद्धि है। भिण्डी की नरम और कोमल प्रकृति तथा उच्च नमी के कारण इसकी खेती में कीटों व रोगों के हमले की संभावना अधिक रहती है। एक अनुमान के अनुसार कीटों व रोगों के प्रकोप से कम से कम 35 से 40 प्रतिशत उत्पादन का नुकसान हो सकता है

भिंडी उत्पादन की उन्नत तकनीक

गर्मियों की सब्जियों में भिंडी का प्रमुख स्थान है. ग्रीष्मकाल में भिंडी की अगेती फसल लगाकर किसान भाई अधिक लाभ अर्जित कर सकते है. मुख्य रुप से भिंडी में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट खनिज लवणों के अतिरिक्त विटामिन ए, सी थाईमीन एवं रिबोफ्लेविन भी पाया जाता है. भिंडी के फल में आयोडीन की मात्रा अधिक होती है. भिंडी का फल कब्ज रोगी के लिए विशेष गुणकारी होता है. इस लेख में ग्रीष्मकालीन भिंडी की उत्पादन तकनीक की विवेचना की गयी हैः-