जुलाई माह में गन्ने की फसल में क्या करें
अन्तः कर्षण क्रियायें
जुलाई माह से गन्ने की लम्बाई बढ़नी शुरू हो जाती है। कल्ले फूटने/निकलने की क्रिया को रोकने के लिये गन्ने की लाइनों पर मिट्टी चढ़ायें इससे गन्ना गिरने से भी बचेगा।
मिट्टी चढ़ाने के बाद यदि वर्षा नहीं होती है तो जड़ों के बेहतर विकास के लिये सिंचाई करें।
सूखे पत्तों को निकाल कर लाइनों के मध्य पलवार के रूप में बिछा दें।
माह के मध्य तक भूमि सतह से 1.5 मीटर की ऊँचाई पर, ऊपर के पत्तों तथा वृद्धि बिन्दु को छोड़कर, पहली बँधाई कर दें।
फसल सुरक्षा –
बेधक कीटों के जैविक नियन्त्रण के लिये ट्राइकोग्रामा के 50,000 कीट/हेक्टेयर की दर से लगायें तथा प्रत्येक 10 से 15 दिन बाद इस प्रक्रिया को दोहराते हुये अक्तूबर तक लगाते रहें।
बेधक कीटों के रसायनिक नियन्त्रण के लिये खेत में पर्याप्त नमी की अवस्था में क्लोरेंट्रेनिलिप्रोले 18.5 एस॰सी॰ 500-600 मिलीलीटर या फिप्रोनिल 2.0 लीटर मात्रा/हेक्टेयर का छिड़काव या थिमेट 10 जी॰ 33 किलोग्राम/हेक्टेयर की दर से जून के अन्तिम सप्ताह से जुलाई के प्रथम सप्ताह तक गन्ने की जड़ के पास प्रातः 10 बजे से पूर्व बुरकाव करें।
पायरिल्ला कीट के नियन्त्रण के लिये इपीरिकैनिया परजीवी के कोकून या अण्डसमूह को अधिकता वाले क्षेत्रों से लाकर अपने खेतों में गन्ने की पत्तियों के पीछे लगा दें। इपीरिकैनिया परजीवी के कोकून सफ़ेद रंग तथा अण्डसमूह चटाईनुमा हल्के भूरे रंग के होते हैं पत्तियों के पिछले भाग पर पाये जाते हैं।
रोगग्रस्त पौधों को नियमित अन्तराल पर खेत से जड़ सहित निकालकर नष्ट करते रहें तथा रिक्त स्थान पर संवर्धित ट्राइकोडर्मा का बुरकाव कर दें।
1. पोक्का बोइंग रोग की शुरुआत नई पत्तियों के आधार पर पीले-सफेद धब्बों से होती है जो आगे चलकर लाल-भूरे हो जाते हैं। पत्तियाँ सिकुड़न युक्त, घुमावदार, सामान्य से छोटे आकार की होती है जो कट-फट कर विकृत हो जाती हैं। धीरे-धीरे संक्रमण नीचे की तरफ तने के वृद्धि बिन्दु को प्रभावित करता है तथा तने की छाल पर एक, दो या अधिक चाकू के कट जैसे आड़े निशान दिखते हैं। 20-30° सेन्टीग्रेड तापमान, 70-80% आपेक्षिक आर्द्रता, बदली या फुहार वाली बारिश इस रोग के प्रसार के लिये सहायक परिस्थितियाँ हैं। कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (2 मिलीलीटर/लीटर पानी) का 15 दिन के अन्तराल पर 2 या 3 छिड़काव कर रोग को नियंत्रित किया जा सकता है।
डॉ आर के सिंह
अध्यक्ष कृषि विज्ञान केन्द्र बरेली
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