किसान

कृषि खेती और वानिकी के माध्यम से खाद्य और अन्य सामान के उत्पादन से सम्बंधित है। कृषि एक मुख्य विकास था, जो सभ्यताओं के उदय का कारण बना, इसमें पालतू जानवरों का पालन किया गया और पौधों (फसलों) को उगाया गया, जिससे अतिरिक्त खाद्य का उत्पादन हुआ। इसने अधिक घनी आबादी और स्तरीकृत समाज के विकास को सक्षम बनाया। कषि का अध्ययन कृषि विज्ञान के रूप में जाना जाता है जो लोग कृषि के कार्य को करके अपनी जीविका उपार्जन करते है उन्हें किसान कहते है 
किसानो को निम्न बिन्दुओ से भी जाना जा सकता है 

1. जो फसलें उगाते हैं।

2. कृषक (farmer)

3. खेतिहर – खेती करने वाला।

4. जो खेत और फसल में अपना योगदान देते हैं।

5. जिनके पास स्वयं के खेत है और दूसरे कामगारों से काम करवाते हैं, किसान हैं।

6. किसान खेतों में पसीना बहाकर अन्न उपजाते हैं

केंद्र सरकार के इस बजट में किए गए प्रावधानों से देवभूमि उत्तराखंड में बहुरेंगे खेती-किसानी के दिन

केंद्र सरकार के इस बजट में किए गए प्रावधानों से देवभूमि उत्तराखंड  में बहुरेंगे खेती-किसानी के दिन

2022 तक किसानों की आय दोगुना करने की कोशिशों में जुटी केंद्र सरकार के इस बजट में किए गए प्रावधानों से उत्तराखंड के 10 लाख से अधिक किसानों के दिन बहुरने की उम्मीद जगी है। जैविक खेती को प्रोत्साहन दिए जाने से जहां राज्य के पर्वतीय इलाकों में परपंरागत खेती को महत्व मिलेगा, वहीं प्रमुख अन्न उत्पादक ऊधमसिंहनगर और हरिद्वार जिलों के किसानों को एमएसपी, ऑपरेशन ग्रीन्स जैसे उपायों से लाभ मिलेगा। यही नहीं, किसानों को कृषि उत्पाद का उचित दाम मिले, इसके लिए ग्रामीण कृषि बाजार और राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) से मंडियों के जुड़ाव अहम भूमिका निभाएगा।

मन की बात में किसानों से अपील, साल 2022 तक यूरिया के इस्तेमाल को आधा करें

मन की बात में किसानों से अपील, साल 2022 तक यूरिया के इस्तेमाल को आधा करें

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि यूरिया के उपयोग से जमीन को गंभीर नुकसान पहुंचता है, ऐसे में हमें संकल्प लेना चाहिए कि 2022 में देश जब आजादी के 75वीं वर्षगांठ मना रहा हो तब हम यूरिया के उपयोग को आधा कम कर दें. आकाशवाणी पर प्रसारित 'मन की बात' कार्यक्रम में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि हर प्रकार के वैज्ञानिक तरीकों से यह सिद्ध हो चुका है कि धरती-मां को आवश्यकता से अधिक यूरिया के उपयोग से गंभीर नुकसान पहुंचता है. किसान तो धरती का पुत्र है, किसान धरती माता को बीमार कैसे देख सकता है?

एप्पल बेर लगाएं ,सालोंसाल बगैर पूंजी का उत्पादन पाएं

एप्पल बेर की खेती

एप्पल बेर लांग टाइम इंवेस्टमेंट है। इससे एक बार फसल लेने के बाद करीब 15 साल तक फसल ले सकते हैं। कम रखरखाव व कम लागत में अधिक उत्पादन के कारण किसान इसकी ओर आकर्षित हो रहे हैं।

बेर… लगभग सबने खाया और देखा होगा, लेकिन एप्पल जैसा आकार और खाने में बेर का स्वाद, यह शायद पहली बार ही सुना होगा, लेकिन यह सच्चाई है।  थाईलैंड का यह फल इंडिया में थाई एप्पल बेर के नाम से प्रसिद्ध है। थाईलैंड में इसको जुजुबी भी कहते हैं।

 

भूमिहीन किसानों को भी मिलेगा बैंकों से कृषि ऋण

भूमिहीन किसानों को भी मिलेगा बैंकों से कृषि ऋण

बटाईदारी और पट्टेदारी पर खेती करने वाले भूमिहीन किसानों को भी अब बैंकों और सहकारी समितियों से कृषि ऋण मिलने का रास्ता खुल जाएगा।

आगामी वित्त वर्ष के आम बजट में यह प्रावधान किया जाएगा। इसके लिए सभी जरूरी वैधानिक कदम उठाए जाएंगे। ऐसे किसानों को फिलहाल खेती के लिए सूदखोरों पर निर्भर रहना पड़ता है।

आम बजट में लैंड लाइसेंस्ड कल्टीवेटर एक्ट पारित कराने का प्रस्ताव है। खेती की चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार आम बजट में कुछ पुख्ता प्रबंध करने की तैयारी में है।

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