किसान

कृषि खेती और वानिकी के माध्यम से खाद्य और अन्य सामान के उत्पादन से सम्बंधित है। कृषि एक मुख्य विकास था, जो सभ्यताओं के उदय का कारण बना, इसमें पालतू जानवरों का पालन किया गया और पौधों (फसलों) को उगाया गया, जिससे अतिरिक्त खाद्य का उत्पादन हुआ। इसने अधिक घनी आबादी और स्तरीकृत समाज के विकास को सक्षम बनाया। कषि का अध्ययन कृषि विज्ञान के रूप में जाना जाता है जो लोग कृषि के कार्य को करके अपनी जीविका उपार्जन करते है उन्हें किसान कहते है 
किसानो को निम्न बिन्दुओ से भी जाना जा सकता है 

1. जो फसलें उगाते हैं।

2. कृषक (farmer)

3. खेतिहर – खेती करने वाला।

4. जो खेत और फसल में अपना योगदान देते हैं।

5. जिनके पास स्वयं के खेत है और दूसरे कामगारों से काम करवाते हैं, किसान हैं।

6. किसान खेतों में पसीना बहाकर अन्न उपजाते हैं

कड़ाके की ठंड और कोहरा मतलब गेहू के अच्छे दिन

कड़ाके की ठंड में इंसानों के साथ जानवरों को दिक्कत जरूर हो रही है लेकिन फसलों में खासकर गेहूं के लिए मौसम का मौजूदा मिजाज फायदे का सौदा बन गया है। पिछेती गेहूं की फसल में कल्ले फूटने के लिए जिस तरह का तापमान चाहिए, वह उसे पिछले चार-पांच दिन में मिल गया। गेहूं के अच्छे दिन के आगाज से वैज्ञानिकों को भी बंपर पैदावार का अनुमान है। करीब तीन महीने में पक कर तैयार होने वाली गेहूं की फसल की दिसंबर के अंतिम सप्ताह तक बुआई हुई थी।

सियासत की फसल, चुनौतियों की खेती

सियासत की फसल, चुनौतियों की खेती

खेती-किसानी को लेकर भले ही सियासत की फसल खूब लहलहा रही हो, लेकिन उत्तराखंड में खेती की हालत बेहद नाजुक हो चली है। आंकड़े इसकी गवाही दे रहे हैं। 12 साल पहले राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कृषि का योगदान 16.04 फीसद था, जो घटकर अब 8.94 फीसद पर आ गया है। यही नहीं, राज्य गठन से अब तक के वक्फे में 72 हजार हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि बंजर में तब्दील हो गई। हालांकि, गैर सरकारी आंकड़ों में यह संख्या एक लाख हेक्टेयर पार कर गई है। सूबे के पहाड़ी क्षेत्र में खेती आज भी सिंचाई की राह ताक रही है। ऐसे तमाम मामलों के बीच खेती की दशा को सुधारना सरकार के सामने बड़ी चुनौती है।

खरीफ फसलों का 38 लाख टन कम हो सकता है उत्‍पादन

खरीफ फसलों का 38 लाख टन कम हो सकता है उत्‍पादन

चालू खरीफ सीजन में कुल खाद्यान्न उत्पादन 13.46 करोड़ टन रहने का अनुमान है. इस तरह पिछले साल के मुकाबले उत्पादन में 2.77 फीसदी यानी करीब 38 लाख टन की गिरावट रहेगी. कृषि मंत्रालय ने वर्ष 2017-18 के लिए प्रमुख खाद्यान्न उत्पादों का अग्रिम अनुमान जारी किया. इसके तहत खरीफ चावल का कुल उत्पादन 9.44 करोड़ टन तक अनुमानित है. खरीफ दलहनों का कुल उत्पादन 87.1 लाख टन और गन्ने का उत्पादन 33.76 करोड़ टन तक अनुमानित है. औसत से 5 फीसदी कम हुई वर्षा मंत्रालय ने कहा कि वर्ष 2017-18 के लिए खरीफ एवं रबी फसलों को मिलाकर कुल उत्पादन 27.56 करोड़ टन रहने का अनुमान है.

देश के विकास के लिए कृषि और किसानों के विकास की जरूरत : राधामोहन

देश के विकास के लिए कृषि और किसानों के विकास की जरूरत : राधामोहन

केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधामोहन सिंह ने आज कहा कि किसानों की आय में इजाफा करने के लिए सीमित संसाधनों और जमीन के निश्चित क्षेत्र की उपलब्धता सुनिश्चित करने, उचित प्रौद्योगिकी अपनाने तथा कम लागत घटाने की जरूरत है। श्री सिंह ने यहां स्टार्ट अप कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों के एक बैठक में कहा कि देश में कृषि लोगों के जीवन और देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। आधी से अधिक आबादी लोग अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर हैं। देश को विकसित करने के लिए कृषि और किसान को विकसित करने की जरूरत है। उन्होेंने इस संबंध में एक और समूह गठन करने के लिए कहा जिससे इन सभी

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