किसान

कृषि खेती और वानिकी के माध्यम से खाद्य और अन्य सामान के उत्पादन से सम्बंधित है। कृषि एक मुख्य विकास था, जो सभ्यताओं के उदय का कारण बना, इसमें पालतू जानवरों का पालन किया गया और पौधों (फसलों) को उगाया गया, जिससे अतिरिक्त खाद्य का उत्पादन हुआ। इसने अधिक घनी आबादी और स्तरीकृत समाज के विकास को सक्षम बनाया। कषि का अध्ययन कृषि विज्ञान के रूप में जाना जाता है जो लोग कृषि के कार्य को करके अपनी जीविका उपार्जन करते है उन्हें किसान कहते है 
किसानो को निम्न बिन्दुओ से भी जाना जा सकता है 

1. जो फसलें उगाते हैं।

2. कृषक (farmer)

3. खेतिहर – खेती करने वाला।

4. जो खेत और फसल में अपना योगदान देते हैं।

5. जिनके पास स्वयं के खेत है और दूसरे कामगारों से काम करवाते हैं, किसान हैं।

6. किसान खेतों में पसीना बहाकर अन्न उपजाते हैं

केंद्र सरकार ने हटाया आयात शुल्क, किसानों में रोष

 केंद्र सरकार ने हटाया आयात शुल्क, किसानों में रोष

कृषि मंत्रालय लगातार कहता आ रहा है कि 2015-16 में भारत में बड़े स्तर पर गेहूं की पैदावार हुई थी। इसके अलावा मंत्रालय ने अगले साल की पैदावार का अनुमान भी काफी ज्यादा बताया था। यानी किसानों को अच्छी कमाई होने के बात कही जा रही थी।

मगर, गेहूं की बुवाई के समय केंद्र सरकार ने गेहूं से आयात शुल्क हटा दिया है, जिससे केंद्रीय कृषि मंत्रालय के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। अब तक भारतीय व्यापारी करीब 35 लाख टन गेहूं के आयात के लिए अनुबंध कर चुके हैं।

अब हर जलवायु में बोएं नरेंद्र हल्दी की नई प्रजाति

अब हर जलवायु में बोएं नरेंद्र हल्दी की नई प्रजाति

आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक की मेहनत रंग लाई। उनकी ईजाद की गई हल्दी की नई प्रजाति एनडीएच-98 सभी प्रकार की जलवायु के लिए मुफीद पाई गई है। इसे न सिर्फ देश के सभी प्रांतों में उगाया जा सकेगा, बल्कि यह गुणवत्ता व मात्रा में भी श्रेष्ठ पाई गई।
हाल में ही राजस्थान में आयोजित राष्ट्रीय बीजीय मसाला अनुसंधान केंद्र में आयोजित कार्यशाला में हल्दी की इस प्रजाति को रिलीज करने की अनुमति मिली। यह प्रजाति अब रिलीज हो चुकी है। इस प्रजाति ने देशभर में नरेंद्रदेव कृषि विश्वविद्यालय व शोधकर्ता डॉ. विक्रमा प्रसाद पांडेय के कार्य का लोहा मनवाया है।

खाद्य सुरक्षा का वाहक बनेगा चावलः स्वामीनाथन

खाद्य सुरक्षा का वाहक बनेगा चावलः स्वामीनाथन

चावल भविष्य का खाद्यान्न है और यही खाद्य सुरक्षा का वाहक बनेगा। यह कहना है जाने-माने कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन का। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों के पास आराम करने का वक्त नहीं है।

उन्हें चावल की ऐसी किस्में विकसित करनी होंगी जो पर्यावरण में हो रहे बदलावों के अनुकूल हों और जिससे चावल का उत्पादन बढ़ सके। स्वामीनाथन को भारत में हरित क्रांति का जनक माना जाता है।

स्वामीनाथन ने कहा, "इस बात में कोई संदेह नहीं है कि 1967-68 में अंतरराष्ट्रीय चावल शोध संस्थान (आइआरआरआइ) द्वारा विकसित चावल की किस्म आइआर-8 और अन्य किस्मों ने भारत में हरित क्रांति को गति दी।

नोटबंदी का बुआई पर नहीं पड़ा असर, किसानों को ढाल बना 'उल्लू सीधा' करने वालों की खुली पोल

नोटबंदी का बुआई पर नहीं पड़ा असर, किसानों को ढाल बना 'उल्लू सीधा' करने वालों की  खुली पोल

500 और 1000 के नोटों के चलन से बाहर होने से भले ही पूरे देश में कैश की किल्लत हो गई हो, लेकिन इस इसका असर रबी फसलों की बुआई पर नहीं पड़ा है।
केंद्रीय कृषि मंत्रालय से मिले आंकड़ों के मुताबिक, 18  नवंबर को समाप्त सप्ताह में पिछले साल के मुकाबले दलहन, तिलहन और गेंहू तीनों फसलों की बुआई में इजाफा हुआ है, सिर्फ  मोटे अनाजों और धान की फसल में कमी देखी गई है। 

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