जैविक कृषि सुरक्षा

सूक्ष्म जीवों से ही सम्भव है मृदा सुधार

आधुनिक समय में हमारे पर्यावरण में असंतुलन पैदा हो गया है। हमारी मृदा, जल, वायु व वन सभी प्रदूषित हो रहे हैं। जिसके कारण जैव-विविधता के लिए संकट, बाढ़, सूखा व अन्य प्राकृतिक समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं। इस कारण अब समय यह चेतावनी दे रहा है कि हमें प्राकृतिक स्रोतों की शुद्धता बनाए रखने के लिए प्रयास करना होगा। प्राकृतिक स्रोतों की शुद्धता बनाए रखने में सूक्ष्म जीवों का कितना बड़ा योगदान है ? बता रहे हैं, चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के डॉ. खलील खान एवं डॉ.

गर्मी की गहरी जुताई व उसका महत्व

गर्मी की गहरी जुताई का अर्थ है गर्मी की तेज धूप में खेत के ढाल के आर-पार विशेष प्रकार के यन्त्रों से गहरी जुताई करके खेत की ऊपरी पर्त को गहराई तक खोलना तथा नीचे की मिट्टी को पलटकर ऊपर लाकर सूर्य तपती किरणों में तपा कर कीटाणुरहित करना है। मानसून पूर्व बौछारों (मई माह में) के साथ गर्मी की गहरी जुताई मृदा को पुनः शक्ति प्रदान करती है।

पलवार ( प्लास्टिक मल्च) एक उन्नत तकनीक

पलवार ( प्लास्टिक मल्च) वह तकनीक है जिसमें भूमि की सतह पर जैविक व अजैविक दोनों प्रकार की सामग्री का प्रयोग फसल उत्पादन में इस प्रकार किया जाता है कि फसल में पानी या नमी की कमी ना हो, खरपतवार की रोकथाम हो, मृदा तापमान में स्थिरता रहे व मृदा की उर्वरता बढे। इन सब गुणों को बनाये रखने हेतु पलवार का प्रयोग किया जाता है। वैसे तो पलवार का प्रयोग जाड़े व गर्मी दोनों ही ऋतुओं में किया जा सकता है, पर मुख्यतः गर्मियों में बोई जाने वाली फसलों के लिए यह विशेष लाभदायक है।पलवार पौधे की विकास के लिए एक सूक्ष्म जलवायु प्रदान करता है जिससे मृदा में नमी, पर्याप्त तापमान, आर्द्रता, कार्बन डाइऑक्साइड और सू

ट्राइकोडर्मा

ट्राइकोडर्मा पादप रोग प्रबंधन विशेष तौर पर मृदा जनित बिमारियों के नियंत्रण के लिए बहुत की प्रभावशाली जैविक विधि है। ट्राइकोडर्मा एक कवक (फफूंद) है। यह लगभग सभी प्रकार के कृषि योग्य भूमि में पाया जाता है। ट्राइकोडर्मा का उपयोग मृदा - जनित पादप रोगों के नियंत्रण के लिए सफलतापूर्वक किया जा सकता है।ट्राइकोडर्मा एक घुलनशील जैविक फफुंदीनाशक है जो ट्राइकोडर्मा विरडी या ट्राइकोडर्मा हरजिएनम पर आधारित है। ट्राइकोडर्मा फसलों में जड़ तथा तना गलन/सडन उकठा(फ्यूजेरियम ऑक्सीस्पोर्म्, स्केल रोसिया डायलेकटेमिया) जो फफूंद जनित है, में फसलों पर लाभप्रद पाया गया है। धान,गेंहू, दलहनी फसलें, गन्ना, कपास, सब्जियों

Pages