कृषि मंत्रालय का नाम, अब 'कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय' ; मोदी

किसानों की जरूरत को ध्यान में रखते हुए सात दशक पुराने कृषि मंत्रालय का नाम बदलकर 'कृषि एवं किसान कल्याण' मंत्रालय कर दिया गया है। यह घोषणा आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की।

लालकिले की प्राचीर से 69वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अपने संबोधन में मोदी ने कृषि उत्पादकता बढ़ाने पर जोर दिया और कहा कि सरकार फसलों की पैदावार बढ़ाने के लिये हरसंभव प्रयास कर रही है।

कृषि क्षेत्र समग्र विकास के लिए किसानों के कल्याण पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि सरकार कृषि मंत्रालय का नाम बदलकर 'कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय' करेगी।

आजादी से पहले भारत में राजस्व, कृषि एवं वाणिज्य विभाग था, जिसकी स्थापना जून 1871 में हुई थी। इसके बाद 1881 में इसे पुनगर्ठित कर राजस्व एवं कृषि विभाग को अलग कर दिया गया, लेकिन 1923 में शिक्षा और स्वास्थ्य को इसमें शामिल कर- शिक्षा, स्वास्थ्य और भूमि-कर दिया गया।

इसके बाद 1945 में इसे तीन अलग अलग विभागों कृषि, शिक्षा और स्वास्थ्य में बांट दिया गया। कृषि विभाग को अगस्त 1947 में कृषि मंत्रालय में तब्दील किया गया।

सपने साकार करने को उठे कदम

प्रधानमंत्री बोले, किसान को पानी चाहिए, बिजली चाहिए। उस सपने को पूरा करने की दिशा में हम काम कर रहे हैं। हमने पचास हजार करोड़ रुपये प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में लगाने के लिए तय किया है। हम पानी बचाओ, ऊर्जा बचाओ, खाद बचाओ (सेव वॉटर, सेव एनर्जी, सेव फर्टिलाइजर) मंत्र को लेकर चल रहे हैं। हमें कृषि जीवन में आंदोलन खड़ा करना है।

लिहाजा, 'पर ड्रॉप मोर क्रॉप' यानी एक-एक बूंद से अधिकतम फसल के काम को आगे बढ़ाने और इस पर धन खर्च करने की दिशा में आगे बढ़े हैं। पिछले दिनों ओले गिरे तो 30 फीसद नुकसान पर भी हमने किसानों को मुआवजा दिया। साठ साल में ऐसा कभी नहीं हुआ।

नई यूरिया नीति बनाई

प्रधानमंत्री ने किसानों के हित में खाद का उत्पादन बढ़ाने के प्रयासों की चर्चा भी की। उन्होंने कहा, 'पूर्वी भारत में चार यूरिया कारखाने बंद पड़े थे। वहां नौजवान बेरोजगार थे। किसान परेशान हो रहा था। इसलिए हमने नई यूरिया नीति बनाई और गोरखपुर, बरेली, तालचर और सिंदरी के फर्टिलाइजर कारखानों को पुनर्जीवित करने के लिए कार्य कर रहे हैं।'

खाद आपूर्ति में गड़बड़ी सुधारी

खाद आपूर्ति में गड़बड़ियों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अभी तक 15-25 फीसद यूरिया केमिकल फैक्ट्रियों में चला जाता था। लिहाजा हमने यूरिया में नीम की कोटिंग का काम शुरू कराया है। अब यूरिया खेती के सिवा और किसी काम में नहीं आ सकता। किसान को जितना चाहिए, उतना मिलेगा। नीम कोटिंग के कारण दस फीसद कम यूरिया के उपयोग से भी पूरा लाभ मिलेगा।