बारिश के बाद गेहूं पर अब फफूंदी की मार

वीट आफ्टर rain

बारिश ने गेहूं को खेतों में बिछा दिया। अब पर्याप्त हवा, धूप नहीं मिलने से गिरी फसल भी गलने लगी है। वह फफूंदी की चपेट में आ गई है। इससे उसमें निकलने वाला दाना कमजोर तो होगा ही संक्रमण से उसमें बदबू भी आने लगेगी। सिर्फ दाना ही नहीं, गेहूं का पौधा भी गलने लगा है, जिससे भूसा भी नहीं हो सकेगा। यह किसानों के लिए कुदरत की दोहरी चोट होगी।

खेतों में गिरी गेहूं की फसल की स्थिति को लेकर कृषि विशेषज्ञों का यही अनुमान है। आदर्श इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल और कृषि विशेषज्ञ डॉ. कुलदीप विश्नोई ने बताया कि सामान्य तौर पर गेहूं की फसल गिरने से 40 फीसदी नुकसान होता ही है, क्योंकि पौधे में सबसे ऊपर के जो दाने अंत में बनते हैं, वह गिरने के बाद नहीं बन पाते। इसके साथ ही बाली में पहले से पड़े दाने विकसित नहीं होते, जिससे उनका आकार सामान्य भी नहीं रहता लेकिन अगर यह पौधे बिल्कुल गिरे हुए उन पौधों की चपेट में आ जाते हैं, जिन्हें पानी और धूप पर्याप्त नहीं मिल पाती तो इनके साथ ही कम गिरे पौधे भी फफूंदी की चपेट में आने लगते है। इससे प्रत्येक पौधा बालियों समेत गलने लगता है। डॉ. विश्नोई के मुताबिक, अगर किसान नमी के बीच इन पौधों की गहाई कराते हैं तो इससे मिलने वाले गेहूं से न सिर्फ बदबू उठेगी बल्कि भूसा भी खराब मिलेगा। यह भूसा या तो खाने से पशु परहेज करेंगे अथवा खाकर बीमार पड़ सकते हैं। वहीं, पंतनगर स्थित गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के कृषि महाविद्यालय में प्राध्यापक डॉ. एचएस कुशवाहा भी मानते हैं कि अगर खेतों में प्रभावित गेहूं में अब भी नमी बनी हुई है तो और भी नुकसान की संभावना है। वह कहते हैं कि नमी से फफूंदी लगती है, इसलिए खेतों में गिरने से बची गेहूं की फसल को सुरक्षित करने के उपाय अगर किसानों ने नहीं किए तो नुकसान और बढ़ सकता है। बेहतर हो कि काफी गिर चुकी और सही फसल के बीच एक दायरा बना दें। 

साभार अमर उजाला