यूपी-बिहार को मिलेगा एफसीआई का बूस्टर डोज

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मिशन बिहार-उत्तर प्रदेश को एफसीआई (भारतीय खाद्य निगम) बूस्टर डोज दे सकता है। एफसीआई में सुधार के लिए गठित शांता समिति की रिपोर्ट के अमल से राजनीतिक रूप से अहम इन राज्यों में किसानों की हालत में सुधार होगा।

इसमें उनकी उपज की शत प्रतिशत खरीद एफसीआई को करने की सिफारिश की गई है। इससे जहां किसानों की बिगड़ी दशा में सुधार होगा, वहीं खाद्य सुरक्षा मजबूत होगी। एफसीआई के पुनर्गठन और इसकी कार्य प्रणाली को दुरुस्त करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सांसद शांता कुमार की अध्यक्षता में आठ सदस्यीय समिति का गठन किया था।

समिति की सिफारिशें आ चुकी हैं, जिसमें एफसीआई की मौजूदा खरीद प्रणाली की कड़ी निंदा की गई है। समिति ने अपनी रिपोर्ट में एफसीआई से पूर्वी राज्यों में खरीद करने की सिफारिश की है। उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल में भारतीय खाद्य निगम अनाज की खरीद नहीं के बराबर करता है। इन्हें डिसेंट्रलाइज स्टेट की सूची में रखा है।

शांता समिति ने कहा है कि पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और ओडिशा में एफसीआई को खरीद करने से अब हट जाना चाहिए। यहां कृषि उपज की खरीद का दायित्व राज्य एजेंसियों पर छोड़ दिया जाना चाहिए। इसके बजाय पूर्वी राज्यों में अनाज की खरीद पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है। इन्हीं क्षेत्रों में अनाज के भंडारण की बुनियादी सुविधाएं विकसित की जानी चाहिए।

समिति का विचार है कि पूर्वी राज्यों में दूसरी हरितक्रांति संभव है, जिसकी शुरुआत भी हो चुकी है। ऐसी हालत में यहां के किसानों को संरक्षण देना जरूरी है। दरअसल, इन्हीं राज्यों में साल दर साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। बिहार में इसी साल के आखिरी महीनों में फिर 2016 में पश्चिम बंगाल और 2017 में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं।

पूर्वी प्रदेशों में कृषि उपज की सरकारी खरीद न होने से किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम कीमत पर अनाज बेचना पड़ता है। शांता कुमार समिति की सिफारिशों से उनके भाग्य खुलने के आसार हैं। राजनीतिक वजहों से इस सिफारिश पर अमल होने की संभावना बढ़ गई है।​