रासायनिक खाद के खतरों को जाना, कर रहे जैविक का प्रयोग

रासायनिकखाद्य से खेतों के साथ मानव स्वास्थ्य को काफी खतरा पहुंचता है। यही कारण है की अब बड़ी संख्या में किसानों का जैविक खेती की ओर तेजी से रुझान बढ़ रहा है। किसान अपने खेतों में रासायनिक खाद्य का उपयोग करना छोड़ जैविक खाद्य का ही उपयोग कर रहे हैं। जैविक खेती से उत्पादन भी बेहतर ढंग से हो रहा है। किसानों के रुझान को देखते बाजार में भी जैविक खाद्य बिकने पहुंच रही है। 

बेहतर है सब्जी का जैविक उत्पादन

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देश में सब्जियों की खेती 90.2 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में की जाती है, जिसमें कुल उत्पादन 16.21 करोड़ टन (162.18 मिलियन टन) होता है। देश में सब्जी की औसत उत्पादकता 17.36 टन प्रति हेक्टेयर है। सब्जियों के क्षेत्रफल में भारत की हिस्सेदारी विश्व में 12.16 प्रतिशत है, जबकि उत्पादन में 11 फीसदी। वैश्विक सब्जी उत्पादन में भारत का स्थान चीन के बाद दूसरा है।

गेहूं-गन्ना छोड़ मेंथा और खस उगा रहे किसान

छोटे किसानों की खेती के तौर तरीकों में आ रहे इस बदलाव के बारे में बताते हुए केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीमैप) के प्रमुख वैज्ञानिक एके सिंह कहते हैं, ”छोटी जोत के किसानों को इनकी खेती करने से ज्य़ादा लाभ मिलता है। जहां धान और गेेहंू जैसी पारंपरिक फसलों से किसान को अधिकतम 50 हज़ार रुपए प्रति हैक्टेयर मुनाफा मिलता है वहीं पिपरमिंट जैसी फसलों से एक हैक्टेयर में मुनाफा 1 लाख रुपए तक मिल सकता है। औषधीय एवं सगंध फसलें बाज़ार में अच्छे दामों पर बिक भी जाती हैं।”

विद्यालयों में किसान पढ़ेंगे खेती का ककहरा

विद्यालयों में किसान पढ़ेंगे खेती का ककहरा

फसलों की पैदावार बढ़ाने के लिए किसानों को और स्मार्ट किए जाने की योजना है। उनके लिए किसान विद्यालय खोले जाएंगे। इनमें उन्हें प्रशिक्षण दिया जाएगा। योजना के तहत बरेली में 15 किसान विद्यालय खुलेंगे। एक विद्यालय पर 50 हजार रुपये खर्च होंगे। अग्रणी काश्तकार किसानों को प्रशिक्षण देंगे। यह काम खरीफ फसलों के सीजन में शुरू होगा।

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