कीटनाशक

कीटनाशक रासायनिक या जैविक पदार्थों का ऐसा मिश्रण होता है जो कीड़े मकोड़ों से होनेवाले दुष्प्रभावों को कम करने, उन्हें मारने या उनसे बचाने के लिए किया जाता है। इसका प्रयोग कृषि के क्षेत्र में पेड़ पौधों को बचाने के लिए बहुतायत से किया जाता है।

उर्वरक पौध की वृद्धि में मदद करते हैं जबकि कीटनाशक कीटों से रक्षा के उपाय के रूप में कार्य करते हैं। कीटनाशक कीट की क्षति को रोकने, नष्‍ट करने, दूर भगाने अथवा कम करने वाला पदार्थ अथवा पदार्थों का मिश्रण होता है। कीटनाशक रसायनिक पदार्थ (फासफैमीडोन, लिंडेन, फ्लोरोपाइरीफोस, हेप्‍टाक्‍लोर तथा मैलेथियान आदि) अथवा वाइरस, बैक्‍टीरिया, कीट भगाने वाले खर-पतवार तथा कीट खाने वाले कीटों, मछली, पछी तथा स्‍तनधारी जैसे जीव होते हैं।

बहुत से कीटनाशक मानव के लिए जहरीले होते हैं। सरकार ने कुछ कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगा दिया है जबकि अन्‍य के इस्‍तेमाल को विनियमित (रेगुलेट) किया गया है।
कीटनाशक—लक्ष्य
शाकनाशी—पौधे
एल्गीनाशी (Algicides) -- एल्गी
पक्षीनाशी -- पक्षी
जीवाणु -- जीवाणू (बैक्टीरिया)
फफूँदनाशी - फफूँद
इन्सेक्टिसाइड—कीट (Insects)
दीमकनाशी (Miticides or Acaricides) -- दीमक (Mites)
घोंघानाशी (Molluscicides) -- घोंघा
नेमेटिसाइड _ निमेटोड (Nematodes)
कृंतकनाशी (Rodenticides) -- कृंतक (Rodents)
विषाणुनाशी (Virucides) - विषाणु (Viruses)
रासायनिक संरचना के आधार पर[संपादित करें]
ऑर्गैनोफॉस्फेट कीटनाशी
कार्बामेट कीटनाशी
ऑर्गैनोक्लोरीन कीटनाशी

भगवान के डाकियों को लीलते कीटनाशक…

बढ़ते कीटनाशको के उपयोग ने पक्षियों के जीवन को बहुत नुकसान पहुंचाया है. किसानों के मित्र समझे जाने वाले पक्षियों की प्रजातियों में दिन-प्रतिदिन भारी कमी होती जा रही है. हालात ये हैं कि कुछ समय से तो कुछेक प्रजातियों के पक्षी नजर ही नहीं आ रहे हैं. विशेष बात तो यह है कि इनके अचानक गायब होने का मुख्य कारण किसानों द्वारा परंपरागत तकनीक को छोडक़र मशीनों द्वारा खेती करने के साथ-साथ बड़े पैमाने पर कीटनाशक दवाइयों का अंधाधुंध प्रयोग करना जिसके चलते पक्षियों पर इसका गहरा दुष्प्रभाव पड़ा है.

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