कुदरती खेती

कुदरती खेती की महत्वपूर्ण जानकारियाँ

1. एक एकड़ में शीशम, आम, कटहल, सिल्वर ओक, चीकू, नारियल, पपीता, केला व सागौन आदि ऐसे पेड़ जो खेत की उर्वरता बढ़ाने में मदद करते हैं, को अवश्य लगाने चाहिए। इन वृक्षों पर बैठने वाले पंछी कीटों को खाकर फसलों को बचाने का काम करते हैं साथ ही खेत में खाद भी देते हैं। पंछी अनाज कम व फसल को नुकसान पहुँचाने वाले कीड़ों को अधिक खाते हैं। एक चिड़िया दिन में लगभग 250 सूंडी खा लेती है। पेड़ों से 10-20 साल में किसानों को अतिरिक्त आर्थिक लाभ मिलता है। जाटी आदि से पशुओं को आहार्। रसोई के लिए लकड़ी तथा परिवार के लिए फल मिलते हैं। पेड़ों के साथ गिलोय व काली मिर्च आदि लगाकर और अcधिक आर्थिक लाभ कमा सकते हैं।

कुदरती खेती कैसे? मूल सिद्धान्त

कुदरती खेती के कुछ मूल सिद्धान्त हैं। मिट्टी में जीवाणुओं की मात्रा, भूमि की उत्पादकता का सब से महत्वपूर्ण अंग है। ये जीवाणु मिट्टी, हवा और कृषि-अवशेषों/बायोमास में प्राकृतिक रूप से उपलब्ध पोषक तत्त्वों को पौधों के प्रयोग लायक बनाते हैं। इस लिये मुख्यधारा के कृषि-वैज्ञानिक भी मिट्टी में जीवाणुओं की घटती संख्या से चिन्तित है। कीटनाशक फसल के लिये हानिकारक कीटों के साथ-साथ मित्र जीवों को भी मारते हैं। रासायनिक खादें भी मिट्टी में जीवाणओं के पनपने में बाधा पैदा करती हैं इसलिये सब से पहला काम है मिट्टी में जीवाणुओं की संख्या बढ़ाना। इस के लिए जरूरी है कि कीटनाशकों तथा अन्य रसायनों का प्र

कुदरती खेती के मूल सिद्धान्त

कुदरती खेती के कुछ मूल सिद्धान्त हैं। मिट्टी में जीवाणुओं की मात्रा, भूमि की उत्पादकता का सब से महत्वपूर्ण अंग है। ये जीवाणु मिट्टी, हवा और कृषि-अवशेषों/बायोमास में प्राकृतिक रूप से उपलब्ध पोषक तत्त्वों को पौधों के प्रयोग लायक बनाते हैं। इस लिये मुख्यधारा के कृषि-वैज्ञानिक भी मिट्टी में जीवाणुओं की घटती संख्या से चिन्तित है। कीटनाशक फसल के लिये हानिकारक कीटों के साथ-साथ मित्र जीवों को भी मारते हैं। रासायनिक खादें भी मिट्टी में जीवाणओं के पनपने में बाधा पैदा करती हैं इसलिये सब से पहला काम है मिट्टी में जीवाणुओं की संख्या बढ़ाना। इस के लिए जरूरी है कि कीटनाशकों तथा अन्य रसायनों का प्र