बटन मशरूम

कुकुरमुत्ता (मशरूम) एक प्रकार का कवक है, जो बरसात के दिनों में सड़े-गले कार्बनिक पदार्थ पर अनायास ही दिखने लगता है। इसे या खुम्ब, 'खुंबी' या मशरूम भी कहते हैं। यह एक मृतोपजीवी जीव है जो हरित लवक के अभाव के कारण अपना भोजन स्वयं संश्लेषित नहीं कर सकता है। इसका शरीर थैलसनुमा होता है जिसको जड़, तना और पत्ती में नहीं बाँटा जा सकता है। खाने योग्य कुकुरमुत्तों को खुंबी कहा जाता है।
'कुकुरमुत्ता' दो शब्दों कुकुर (कुत्ता) और मुत्ता (मूत्रत्याग) के मेल से बना है, यानि यह कुत्तों के मूत्रत्याग के परिणामस्वरूप उत्पन्न होता है। ऐसी मान्यता भारत के कुछ इलाकों में प्रचलित है, किन्तु यह बिलकुल गलत धारणा है।

श्वेत बटन मशरूम लागत कम मुनाफ़ा ज्यादा

भारत में इसका उत्पादन सत्तर के दशक में शुरू हुआ था। भारत के पंजाब राज्य में सबसे अधिक मशरूम की खेती होती है। यहां कुल उत्पादन का 51 फ ीसदी मशरूम अकेले ही उगाया जाता है। वहीं, अन्तरराष्ट्रीय मशरूम उत्पादन में चीन पहले नंबर पर है।
मशरूम एक तरह की फफूंद होती है, जो खाने मेें काफी स्वादिस्ट होता है। इसकी चार प्रजातियां होती हैं, जिन्हें खाने में इस्तेमाल किया जाता है। जैसे सफेद बटन मशरूम, ढींगरी मशरूम, दूधिया मशरूम और पुआल मशरूम होते हैं। इसमें प्रोटीन की अच्छी मात्रा के साथ ही विटामिन -बी कॉम्पलेक्स, मिनरल तथा आयरन भी पाया जाता है। 

बटन मशरूम कैसे उगायें

भारत में खुम्‍बी उत्‍पादकों के दो समुह हैं एक जो केवल मौसम में ही इसकी खेती करते हैं तथा दूसरे जो सारे साल मशरूम उगाते हैं। मौसमी खेती मुख्‍यत: हिमाचल प्रदेश, जम्‍मू-कशमीर, उत्‍तर प्रदेश की पहाडीयों, उत्‍तर-पश्चिमी पहाडी क्षेत्रों , तमिलनाडु के पहाडी भागों में 2-3 फसलों के लिए तथा उत्‍तर पश्चिमी समतल क्षेत्रो में केवल जाडे की फसल के रूप में की जाती है। पूरे साल खुम्‍बी की खेती सारे देश में की जाती है। चंडीगढ, देहरादून, गुडगावा, उंटी, पूना, चेनई तथा गोवा के आसपास 200 से 5000 टन प्रतिवर्ष खुम्‍बी उगाने वाली निर्यातोन्‍मुखी ईकाठयां लगी हुई है।