चुकंदर की खेती

गन्ने के बाद चुकंदर (Sugar beet) दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादन का श्रोत है. यह एक छोटी अवधि (6-7 महीने) का फसल है. शुगर बीट की खेती से पहले किसान सुगरमिल या अन्य हितधारकों से संपर्क कर उत्पाद की मार्केटिंक सुनिश्चित कर सकते हैं. ताकि मांग के अनुसार वह शुगर बीट का उत्पादन करें. आज कृषि जागरण के इस लेख के माध्यम से हम किसानों को चुकंदर (Sugar beet) की खेती की जानकारी दे रहे हैं. ताकि किसान इस रबी सीजन बंपर उत्पादन कमा कर अच्छी आय अर्जित कर सकें.

चुकंदर की खेती के लिए मिट्टी का चयन: शुगर बीट को अच्छी तरह से सूखी मिट्टी, दोमट मिट्टी, लवणीय और क्षारीय मिट्टी पर सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है, यह रेतीली दोमट मिट्टी में उगने के लिए बेहद अनुकूल है.

चुकंदर की खेती के लिए फसल चक्रण: हर एक फसल मौसम जलवायु के अनुसार बोई जाती है. जिसके लिए फसल चक्रण का पालन किया जाता है. खरीफ सीजन में  चावल/बासमती-शुगर बीट तथा खरीफ चारा- शुगर बीट

चुकंदर की किस्में: उष्णकटिबंधीय शुगर बीट संकरों में पंजाब की परिस्थितियों में 13-15% सुक्रोज के साथ 240-320 क्विंटल प्रति एकड़ की औसत जड़ उपज देने की क्षमता है.

चुकंदरट की खेती के लिए भूमि की तैयारी : खेत को 2-3 जुताई और उसके बाद प्लांकिंग करके तैयार किया जा सकता है.

चुकंदर की खेती के लिए बुवाई का समय: बुवाई के लिए अक्टूबर से मध्य नवंबर तक का समय सबसे उपयुक्त होता है.

चुकंदर की खेती के लिए बीज दर और बुवाई की विधि: फसल को समतल क्यारियों पर या मेड़ों पर 50 सेमी की दूरी पर और पौधे से पौधे के बीच 20 सेमी की दूरी पर बोया जा सकता है. इष्टतम पौधों की आबादी 40,000 पौधे प्रति एकड़ है. बीज को 2.5 सेंटीमीटर मिट्टी की गहराई पर खोदकर बोया जाता है.

चुकंदर की खेती के लिए उर्वरक का छिड़काव: 8 टन प्रति एकड़ अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद डालें और बुवाई से पहले अच्छी तरह मिलाएं. एफवाईएम के अभाव में 60 किग्रा एन (135 किग्रा यूरिया) और 12 किग्रा P2 O5  (75 किग्रा एसएसपी) प्रति एकड़ डालें. 45 किलो यूरिया और फुल फॉस्फोरस बुवाई के समय और शेष यूरिया 45 किलो के दो टुकड़ों में 30 और 60 दिनों के बाद बुवाई के बाद डालें. यदि एफवाईएम का उपयोग किया गया है तो नाइट्रोजन की मात्रा को घटाकर 48 किग्रा (105 किग्रा यूरिया) प्रति एकड़ कर दें. पोटेशियम की कमी वाली मिट्टी में, बुवाई के समय 12 किलो K2O (20 किलो म्यूरेट ऑफ पोटाश) प्रति एकड़ डालें. बोरॉन की कमी वाली (0.5 किग्रा बी प्रति एकड़ से कम) मिट्टी में बुवाई के समय 400 ग्राम बी (4 किग्रा बोरेक्स) प्रति एकड़ डालें.

खरपतवार नियंत्रण: फसल को मासिक अंतराल पर 2 से 3 हाथ से निराई-गुड़ाई की आवश्यकता होती है.

सिंचाई: चुकंदर विकास के सभी चरणों में पानी के ठहराव के प्रति बहुत संवेदनशील होता है. पहली सिंचाई बुवाई के तुरंत बाद और बाद में सिंचाई बुवाई के लगभग दो सप्ताह बाद करें. फसल को फरवरी के अंत तक 3 से 4 सप्ताह में और मार्च-अप्रैल के दौरान 10 से 15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई की आवश्यकता होती है. कटाई से 2 सप्ताह पहले सिंचाई बंद कर दें.

कटाई: फसल की कटाई मध्य अप्रैल से मई के अंत तक की जा सकती है. कटाई शुगर बीट हार्वेस्टर/आलू खोदने वाले/कल्टीवेटर/मैनुअल खुदाई द्वारा की जा सकती है. शुगर बीट की जड़ों को कटाई के 48 घंटे के भीतर संसाधित किया जाना चाहिए. शुगर बीट के पत्तों को हरी खाद के रूप में काम करने के लिए खेत में रहने दिया जाना चाहिए या वैकल्पिक रूप से पत्तियों को मवेशियों को चारे के रूप में खिलाया जा सकता है.

पौध संरक्षण उपाय

चुकंदर के महत्वपूर्ण रोग स्क्लेरोटियानिया रूट रोट, सर्कोस्पोरा लीफ स्पॉट और हार्ट रोट हैं. आर्मी वर्म, टोबैको कैटरपिलर और कट वर्म परेशानी वाले कीट हैं. चुकन्दर को एक ही खेत में तीन साल में एक बार ही उगाना चाहिए ताकि कीटों और बीमारियों से बचा जा सके.

 

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