कीटनाशक

कीटनाशक रासायनिक या जैविक पदार्थों का ऐसा मिश्रण होता है जो कीड़े मकोड़ों से होनेवाले दुष्प्रभावों को कम करने, उन्हें मारने या उनसे बचाने के लिए किया जाता है। इसका प्रयोग कृषि के क्षेत्र में पेड़ पौधों को बचाने के लिए बहुतायत से किया जाता है।

उर्वरक पौध की वृद्धि में मदद करते हैं जबकि कीटनाशक कीटों से रक्षा के उपाय के रूप में कार्य करते हैं। कीटनाशक कीट की क्षति को रोकने, नष्‍ट करने, दूर भगाने अथवा कम करने वाला पदार्थ अथवा पदार्थों का मिश्रण होता है। कीटनाशक रसायनिक पदार्थ (फासफैमीडोन, लिंडेन, फ्लोरोपाइरीफोस, हेप्‍टाक्‍लोर तथा मैलेथियान आदि) अथवा वाइरस, बैक्‍टीरिया, कीट भगाने वाले खर-पतवार तथा कीट खाने वाले कीटों, मछली, पछी तथा स्‍तनधारी जैसे जीव होते हैं।

बहुत से कीटनाशक मानव के लिए जहरीले होते हैं। सरकार ने कुछ कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगा दिया है जबकि अन्‍य के इस्‍तेमाल को विनियमित (रेगुलेट) किया गया है।

किसानों की समस्याओं का अब ऑनलाइन होगा निपटारा

किसानों की समस्याओं का अब ऑनलाइन होगा निपटारा

फसल में रोग लग गया हो या फिर कीट चट कर रहे हों, किसान परेशान न हों। अपनी फसल की स्थिति के बारे में ऑनलाइन समस्या दर्ज कराएं। घर पर स्मार्ट फोन हो तो फसल की फोटो भी पोर्टल पर अपलोड कर सकते हैं।

शिकायत दर्ज कराने के 48 घंटे के अंदर विशेषज्ञ अधिकारी आपके खेत पर होंगे और किसान को बताएंगे कि कौन सी दवाएं कितनी मात्रा में डाली जाए। यदि किसान के पास स्मार्ट फोन नहीं है तो वह साधारण फोन से एसएमएस कर अपने फसल के रोग और निदान के बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं।

कीटनाशकों का नया जाल

कीटनाशकों का नया जाल

  कीटनाशकों एवं अन्य रसायनों की वजह से अब मानव समाज भोजन संबंधी विकारों या एलर्जी का शिकार होने लगा है । साफ-सफाई में भी रसायनों का अत्यधिक इस्तेमाल हमारे लिए नित नए खतरे पैदा करता जा रहा है । लेकिन विज्ञापन की दुनिया हमें सपने दिखाकर हमारे जीवन में अंधियारा भर रही है । 

किसानों की नई मुसीबत सोयाबीन और मूंग के बाद अब धान में लगा रोग

  धान में लगा ब्लास्ट रोग

किसानों की किस्मत में शायद  इश्वर ख़ुशी का  नाम लिखना भूल गया  है। फसलों में एक के बाद एक रोग लग रहे है। सोयाबीन और मूंग की फसल रोगग्रस्त होने के बाद अब धान की फसल में भी रोग लग गया है। इस नए  रोग का नाम ब्लास्ट है।

लक्षण :  इस रोग में धान की पौध धीरे-धीरे लाल रंग में परिवर्तित हो जाती है और फसल की उत्पादन क्षमता घटाते हुए उसे खत्म करने का काम करती है।

Pages