किसानो के लिए लाभदायक साबित हो सकती है हरी खाद

जैविक खेती को बढ़ावा दिए जाने के लिए किसान कल्याण विभाग ने किसानों को हरी खाद का लाभ बताते हुए इसके उपयोग करने की सलाह दी है।
विभाग द्वारा किसानों को हरी खाद के उपयोग के संबंध में बताया गया है कि हरी खाद से भूमि की संरचना सुधरती है और उर्वरा शक्ति बढ़ती है। खेतों
से यदि हम अपने पोषण के लिये बहुत कुछ जुटा लेते हैं तो पौधे भी अपने लिये आवश्यक भोजन का प्रबंध अन्य पौधों की दम पर कर सकते हैं। इस
तरह के प्राकृतिक पोषण को हरी खाद की फसल कहते हैं।अगर सही ढंग से इसका प्रयोग किया जाये तो फसलो के उत्पादन में दोगुना बढ़ोतरी हो सकती है!
साथ ही किसानो को दूसरी खादों के लिए पेसे बर्बाद नहीं करने पड़ेंगे!अनेक ऐसी फसलें हैं जो जल्दी से मिट्टी में घुल मिल कर उसमें उम्दा किस्म की
खाद बना देती हैं। इनकी जडों में नत्रजन का लाभ भी आने वाली
फसल को मिल जाता है।  सनई, ढेंचा, लोबिया, उडद, मूंग तथा ग्वार जैसी हरी खाद बनाने वाली फसलें प्रायः अप्रैल से जुलाई अवधि में बोई जाती हैं
जिनमें काफी बड़ी मात्रा में नत्रजन अगली फसल को मिल जाता है।
धान की कतार में बोई जाने वाली फसल के साथ हरी खाद बोने पर बियासी के समय यह फसल हल या पैरों से रौंद कर भूमि में मिला सकते हैं। इस
तरह से हरी खाद बनाने से न केवल आर्गेनिक नत्रजन, स्फुर और पोटाश जैसे मुख्य तत्व ही पौधों को मिलते हैं बल्कि गंधक, चूना, मैगनीशियम,
जस्ता, आयरन, मैंगनीज तथा कॉपर जैसे आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व भी प्राप्त हो जाते हैं। हरी खाद के लिये बीज कृषि विभाग द्वारा अनुदान पर
उपलब्ध कराए जाने की व्यवस्था की गई है !

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