किसानों की नई मुसीबत सोयाबीन और मूंग के बाद अब धान में लगा रोग

  धान में लगा ब्लास्ट रोग

किसानों की किस्मत में शायद  इश्वर ख़ुशी का  नाम लिखना भूल गया  है। फसलों में एक के बाद एक रोग लग रहे है। सोयाबीन और मूंग की फसल रोगग्रस्त होने के बाद अब धान की फसल में भी रोग लग गया है। इस नए  रोग का नाम ब्लास्ट है।

लक्षण :  इस रोग में धान की पौध धीरे-धीरे लाल रंग में परिवर्तित हो जाती है और फसल की उत्पादन क्षमता घटाते हुए उसे खत्म करने का काम करती है।

धान से पूर्व सोयाबीन फसल में सनासड़म और पीला मौजिक रोग मूंग फसल में लग चुका है। धान की फसल में रोग लगने का कारण कृषि वैज्ञनिकों के अनुसार फंग्गस है। जिस कारण यह रोग लगा है। इसके अंतर्गत कीड़ा फसल में रोग फैलाने का काम करता है। धान में लगा यह रोग का दूसरा कारण यह भी बताया जा रहा है कि खेत में भरा पानी इस रोग को बढ़ाने का काम करता है, चूंकि किसान पूर्व में भरे हुए पानी को खाली नहीं करते है। जिससे फंग्गस लगना शुरू हो जाता है। कृषि वैज्ञानिकों ने हर आठ दिन में खेत का पानी निकालने की सलाह किसानों की दी है। वहीं रोग से बचने के लिए कार्बनडाईजिम 50 प्रतिशत का छिड़काव करने को कहा है।

सोयाबीन व उड़द में लगा पीला मौजिक

य सोंईकलां क्षेत्र में ही निरीक्षण के दौरान कृषि एसडीओ एसके शर्मा को मूंग फसल में पीला मौजिक रोग मिला था। अब यहीं रोग मूंग के अलावा उड़द और सोयाबीन फसल में लग गया है। इस रोग में पौध सड़ने लगती है और रोग एक पौधे से दूसरे पौधे में चला जाता है। यह रोग एक वायरस के माध्यम से फैलता है। जिससे बचने के लिए मोनोक्रोटोफास 36 ईसी का छिड़काव करने की सलाह कृषि वैज्ञानिक ने किसानों को दी है। यह रोग सोंईकलां के आस-पास स्थित खेतों में देखने में मिला।

गर्डल बिटिल का भी प्रकोप

य सोयाबीन फसल में सनासड़म, पीलामौजिक के अलावा एक और रोग की पुष्टि कृषि एसडीओ ने की है। इस रोग का नाम गर्डल बिटिल है। जिसमें फसल की पौध पर एक कीड़ा बैठता है और फसल की पौध में पत्तों के बीच गोलाकार गड्ढा कर देता है। इसी गड्ढे में यह कीड़ा अंडे देता है और इसके कारण पौधे धीरे-धीरे सूखने लगते है। कृषि एसडीओ श्री शर्मा ने किसानों को सलाह दी है कि वह इस रोग से निपटने के लिए फसल में ट्राइजोफांस 40 ईसी दवा का छिड़काव करें। इससे रोग फसल से खत्म हो जाएगा।

नई दुनिया जागरण