चीनी

शक्कर, शर्करा या चीनी (Sugar) एक क्रिस्टलीय खाद्य पदार्थ है। इसमें मुख्यत: सुक्रोज, लैक्टोज एवं फ्रक्टोज उपस्थित होता है। मानव की स्वाद ग्रन्थियाँ मस्तिष्क को इसका स्वाद मीठा बताती हैं। चीनी मुख्यत: गन्ना (या ईख) एवं चुकन्दर से तैयार की जाती है। यह फलों, मधु एवं अन्य कई स्रोतों में भी पायी जाती है। इसे मारवाडी भाषा मेँ 'खोड' अथवा ' मुरस ' कहा जाता है| चीनी की अत्यधिक मात्रा खाने से प्रकार-२ का मधुमेह होने की घटनाएँ अधिक देखी गयीं हैं। इसके अलावा मोटापा और दाँतों का क्षरण भी होता है। विश्व में ब्राजील में प्रति व्यक्ति चीनी की खपत सर्वाधिक होती है। भारत में एक देश के रूप में सर्वाधिक चीनी का खपत होती है।

भारत का चीनी उद्योग
चीनी उद्योग ग्रामीण भारत में स्थित कृषि पर आधारित सबसे बड़ा उद्योग है। लगभग ५ करोड़ गन्ना किसान, उनके आश्रित तथा काफी अधिक संख्या में खेतिहर मजदूर गन्ने की खेती, कटाई एवं संबंधित गतिविधियों में लगे हैं, जोकि ग्रामीण जनसंख्या के 7.5% हैं। इसके अतिरिक्त, लगभग ५ लाख कुशल एवं अर्द्ध कुशल कामगार, जो अधिकांशतः ग्रामीण क्षेत्रों से हैं, चीनी उद्योग में लगे हैं। भारत में चीनी उद्योग ग्रामीण संसाधनों को जुटाकर रोजगार एवं उच्चतर आय, परिवहन एवं संचार सुविधाओं के सृजन द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए केन्द्रीय बिंदु रहा है। इसके अतिरिक्त कई चीनी फैक्ट्रियों ने ग्रामीण आबादी के लाभ के लिए स्कूल, कॉलेज, चिकित्सा केन्द्र तथा अस्पताल स्थापित किए हैं। कुछ चीनी फैक्ट्रियों ने सह-उत्पादन पर आधारित उद्योग भी लगाए हैं तथा शराब के कारखाने, कार्बनिक रसायन प्लांट, पेपर एवं बोर्ड फैक्ट्री तथा सह उत्पादन प्लांट स्थापित किए हैं। यह उद्योग पुनः आपूर्तियोग्य बायोमास का सृजन करता है तथा फोसिल ईंधन पर निर्भर किए बिना इसका उपयोग करता है। अतः भारतीय अर्थव्यवस्था में चीनी उद्योग का बहुत बड़ा योगदान है।

देश में 553 संस्थापित चीनी मिलें हैं जिनकी 180 लाख मीट्रिक टन चीनी की उत्पादन क्षमता है। ये मिलें देश के 18 राज्यों में अवस्थित हैं। इनमें से लगभग 60% मिलें सहकारी क्षेत्र में हैं, 35% निजी क्षेत्र में तथा शेष सार्वजनिक क्षेत्र में हैं।

सूखा प्रभावित भारत को करना पड़ सकता है चीनी का आयात

सूखा प्रभावित भारत को करना पड़ सकता है चीनी का आयात

गत दो मॉनसूनों में बारिश की कमी के चलते बीते 4 वर्षों में पहली बार भारत को चीनी का आयात करना पड़ सकता है। पिछले दो वर्षों में कमजोर मॉनसून के कारण देश को सूखे का सामना करना पड़ा जिससे अनेक जलाशय सूख गए सिंचाई के श्रोतों में पानी की कमी हो गई। सूखे के चलते महाराष्ट्र में गन्ने की फसल पर काफी बुरा असर पड़ा है। परिणामतः राज्य में गन्ने के उत्पादन में 40 फीसदी तक की गिरावट हो सकती है।

केंद्र कोल्हुओं को देगा प्रोत्साहन

केंद्र कोल्हुओं को देगा प्रोत्साहन

केंद्र सरकार उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों को आमदनी का वैकल्पिक स्रोत मुहैया कराने पर विचार कर रही है। इसमें स्थानीय कोल्हुओं को सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्योग की श्रेणी में शामिल कर उन्हें प्रोत्साहन मुहैया कराया जाएगा। गन्ने की पेराई कर गुड़ और खांड बनाने वाले इन कोल्हुओं को एमएसएमई में शामिल किए जाने से ये सरकारी लाभ और कर रियायतें प्राप्त कर सकेंगे। 

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