-जलवायु परिवर्तन से निपटने का खुफिया हथियार है केंचुआ

मानें या ना मानें लेकिन जलवायु परिवर्तन से निपटने में केंचुआ ताजातरीन हथियार बन गया है. चार साल चले एक बड़े अध्ययन में पाया गया कि 30 करोड़ साल से धरती पर बसने वाले केंचुओं का उपयोग पक्षियों का खाना बनने के अलावा भी है. वे बाढ़ और सूखा दोनों को रोकने में मदद कर सकते हैं.

ब्रिटेन के गेम एंड वाइल्डलाइफ कंर्जेवेशन सोसाइटी के अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि सूखे मौसम और मानसून जैसी वष्रा के चक्रों के कारण बाढ और सूखा आता है जिनके बारे में कहा जाता है कि इनकी वजह ग्लोबल वार्मिंग है और यहां केंचुए मदद कर सकते हैं.

एक औसत केंचुआ अपने वजन का एक तिहाई तक मिट्टी को खोद डालता है जिससे मिट्टी में जल को सोखने की क्षमता बढ जाती है. जब यही काम लाखों केंचुए करेंगे तो बाढ की स्थिति में धरती पानी को सोखने में ज्यादा समर्थ होगी और सूखे के वक्त में यह काम आएगा.

अध्ययन दल के अगुवा डॉ. क्रिस स्टोएट ने कहा, ‘केंचुए के खोदे जाने वाली मिट्टी पानी को बेहतर ढंग से सोखती है और नहीं खोदे जाने वाली मिट्टी की तुलना में पानी सोखने का दर चार से दस गुना बेहतर होता है.’ उन्होंने कहा, ‘इससे तूफानों के दौरान मिट्टी को अवशोषित करने में मदद मिलती है जो सूखे में काम आता है.’

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