जड़ माहू

इस रोग  फसल को जड़ से लेकर दानों तक को नुकसान पहुँचाता है। इस रोग के कारण पत्तियों पर गोलाकार भूरे रंग के धब्बें बन जाते है। यह रोग फफॅूंद जनित है। पौधों की बढ़वार कम होती है, दाने भी प्रभावित हो जाते है, जिससे उनकी अंकुरण क्षमता पर भी प्रभाव पड़ता है। पत्तियों पर तिल के आकार के भूरे रंग के काले धब्बें बन जाते है। ये धब्बें आकार एवं माप मे बहुत छोटी बिंदी से लेकर गोल आकार का होता है। धब्बों के चारो ओर हल्की पीली आभा बनती है। पत्तियों पर ये पूरी तरह से बिखरे होते है। धब्बों के बीच का हिस्सा उजला या बैंगनी रंग की होती है। बड़े धब्बों के किनारे गहरे भूरे रंग के होते है, बीच का भाग पीलापन लिए, गेंदा सफेद या घूसर रंग का हो जाता है। उग्रावस्था मे पौधों के नीचे से ऊपर पत्तियों के अधिकांश भाग धब्बों से भर जाते है। ये धब्बें आपस मे मिलकर बड़े हो जाते है, और पत्तियों को सुखा देते है। आवरण पर काले धब्बे बनते है। इस रोग का प्रकोप उपराऊ धान मे कम उर्वरता वाले क्षेत्रों मे मई-सितम्बर माह के बीच अधिक दिखाई देते है। यह रोग ज्यादातर उन क्षेत्रों मे देखने को मिलता है, जहाँ किसान भाई खेतों मे उचित प्रबंधन की व्यवस्था नही कर पाते है। इसमे जड़ के अलावे पौधे के सभी रोगी हो सकते है। इस रोग मे दानों के छिलको पर भूरे से काले धब्बें बनते है, जिससे चावल बदरंग हो जाता है।

गेहूं फसल में जड़ माहू का प्रकोप

गेहूं में जड़ माहू का प्रकोप

इन दिनों रबी सीजन की गेहूं फसल में जड़ माहू का प्रकोप लगने से किसान परेशान हैं। किसानों द्वारा बताये जाने पर kisanhelp की टीम ने उत्तर प्रदेश के बरेली , पीलीभीत ,शाहजहांपुर आगरा मध्य प्रदेश के रतलाम ,हरदा ,अशोक नगर के गांवों में जाकर रोग की जानकारी दी । जहां पर गेहूं फसल में जड़माहू का प्रकोप मिला। जड़ माहू के प्रकोपित पौधों को उखाड़कर सफेद पेपर पर रखकर देखने पर भूरे रंग के बारिक-बारिक माहू दिखाई दिए, जो कि पौधों की तने जड़ से रस चूसते हैं, जिसके कारण पौधे पीले पडऩे लगते हैं।

जड़ माहू रोग