कपास

कपास एक नकदी फसल हैं। इससे रुई तैयार की जाती हैं, जिसे "सफेद सोना" कहा जाता हैं |देश की प्रमुख वाणिज्यिक फसल कपास न केवल लाखों किसानों की आजीविका का जरिया है बल्कि यह औद्योगिकी गतिविधि, रोजगार और निर्यात की दृष्टि से महत्वपूर्ण कपड़ा उद्योग का प्रमुख प्राकृतिक फाईबर है। कभी देश की कपड़ा मिलों को कपास के आयात पर निर्भर रहना पड़ता था। पिछले कुछ वर्षों के गहन उत्पादन कार्यक्रमों जैसी विशेष योजनाओं के आरंभ होने से देश कपास उत्पादन में आत्मनिर्भर हो गया है। वर्ष 2000 में आरंभ किए गए प्रौद्योगिकी मिशन से कपास के उत्पादन और उपज में उल्लेखनीय सुधार से अधिशेष मात्रा का विश्व बाजार में निर्यात भी होने लगा है।

देश के घरेलू वस्त्र उद्योग को रियायती दर पर फाईबर सुरक्षा प्रदान करने में कपास की अहम भागीदारी है। देश में कपास की पर्याप्त उपलब्धता से वस्त्र उद्योग को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाने में कपास की महत्वपूर्ण भूमिका है। इस प्रकार महत्वपूर्ण प्राकृतिक फाईबर कपास प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से लाखों लोगों के रोजगार का जरिया है। देश के 13 राज्यों के लगभग 62 लाख किसान कपास की खेती से जुड़े हुए हैं। यही नहीं 30 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निर्यात करने वाले वस्त्र उद्योग का मुख्य फाईबर भी कपास ही है और वर्तमान में कुल फाईबर उत्पादन का 60 प्रतिशत हिस्सा कपास का है।

कपास के प्रकार

लम्बे रेशे वाली कपास
मध्य रेशे वाली कपास
छोटे रेशे वाली कपास
कपास उत्पादन के लिए भौगोलिक कारक
तापमान - २१ से २७ सें. ग्रे.
वर्षा - ७५ से १०० सें. मी.
मिट्टी - काली
कपास उत्पादन का विश्व वितरण
संयुक्त राज्य अमेरिका
चीन
भारत

गेहूं फसल में जड़ माहू का प्रकोप

गेहूं में जड़ माहू का प्रकोप

इन दिनों रबी सीजन की गेहूं फसल में जड़ माहू का प्रकोप लगने से किसान परेशान हैं। किसानों द्वारा बताये जाने पर kisanhelp की टीम ने उत्तर प्रदेश के बरेली , पीलीभीत ,शाहजहांपुर आगरा मध्य प्रदेश के रतलाम ,हरदा ,अशोक नगर के गांवों में जाकर रोग की जानकारी दी । जहां पर गेहूं फसल में जड़माहू का प्रकोप मिला। जड़ माहू के प्रकोपित पौधों को उखाड़कर सफेद पेपर पर रखकर देखने पर भूरे रंग के बारिक-बारिक माहू दिखाई दिए, जो कि पौधों की तने जड़ से रस चूसते हैं, जिसके कारण पौधे पीले पडऩे लगते हैं।

जड़ माहू रोग

10 बेहतरीन तिलहनी फसलें, उत्पादन के साथ आय में होगी बढ़ोतरी

10 बेहतरीन तिलहनी फसलें, उत्पादन के साथ आय में होगी बढ़ोतरी

भारत में तिलहन की खेती बड़े पैमाने में की जाती है. छोटे और सीमांत क्षेत्रों के किसानों के लिए तिलहन की खेती आय का एक बड़ा जरिया है.  तिलहनों से ही खाद्य तेल और वनस्पति तेल बनाया जाता है. जिनका उपयोग खाना पकाने, व्यक्तिगत देखभाल, चिकित्सीय लाभों और कई अन्य उपयोगों के लिए किया जाता है.

जुलाई में कृषि कार्यों में क्या करें

जुलाई में कृषि कार्यों में क्या करें

जुलाई महीने के प्रमुख कृषि कार्य

धनहा खेत में हरी खाद की फसल लगाते हैं। ये गहरे हल से जुताई करके किया जाता है।

धान का रोपा लगाया जाता है। जो धान जून के अन्त में बोयी गयी थी, उसकी निंदाई की जाती है।

मक्का, जो मई या जून में बोई गयी थी, उसकी निंदाइ की जाती है।

इस महीने में फिर से मक्का बाजरा, ज्वार, अरहर आदि लगाते हैं।

गन्ने पर मिट्टी चढ़ायी जाती है। कपास, मूंगफली की निंदाई-गुड़ाई करते हैं।

सूरजमुखी की बुवाई करना शूरु हो जाता है।

चारे के लिये सूडान घास, मक्का, नेथियर, रोड्स पारा आदि घास लगायी जाती है।

अंकुर फूटते ही कपास पर सफेद मक्खी का हमला, दहशत में किसान

अंकुर फूटते ही कपास पर सफेद मक्खी का हमला, दहशत में किसान

हरियाणा , मध्यप्रदेश और पंजाब आदि राज्यों में अंकुर फूटते ही कपास पर सफेद मक्खी का हमला हो रहा है, किसानों में सफेद मक्खी के हमले को लेकर इतनी दहशत पैदा हो चुकी है कि वह अपने खेतों में कपास छोड़कर अन्य फसलें बीजने लगे हैं। कई किसानों ने कपास अपने खेतों में लगा ली थी, लेकिन जैसे ही उन्हें फसल पर सफेद मक्खी का हमला होता दिखाई दिया तो उन्होंने तुरंत इसको तुरंत ट्रैक्टर से रौंद दिया। कृषि विभाग की ओर से अधिकारिक की गई दवाओं को ही अपने खेतों में बोई कपास की फसल पर छिड़काव किया था, लेकिन डेढ़ माह के अंदर उसकी फसल पर फिर से सफेद मक्खी ने हमला कर दिया। उस पर उक्त दवा का भी काई असर नहीं हुआ।

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