ज्वार

ज्वार (Sorghum vulgare ; संस्कृत : यवनाल, यवाकार या जूर्ण) एक प्रमुख फसल है। ज्वार कम वर्षा वाले क्षेत्र में अनाज तथा चारा दोनो के लिए बोई जाती हैं। ज्वार जानवरों का महत्वपूर्ण एवं पोष्टिक चारा हैं। भारत में यह फसल लगभग सवा चार करोड़ एकड़ भूमि में बोई जाती है। यह खरीफ की मुख्य फसलों में है। यह एक प्रकार की घास है जिसकी बाली के दाने मोटे अनाजों में गिने जाते हैं।
ज्वार विश्‍व की एक मोटे अनाज वाली महत्‍वपूर्ण फ़सल है। वर्षा आधारित कृषि के लिये ज्‍वार सबसे उपयुक्‍त फ़सल है। ज्‍वार फ़सल का दोहरा लाभ मिलता है। मानव आहार के साथ-साथ पशु आहार के रूप में इसकी अच्‍छी खपत होती है। ज्‍वार की फ़सल कम वर्षा में भी अच्‍छा उपज दे सकती है। एक ओर जहाँ ज्‍वार सूखे का सक्षमता से सामना कर सकती है, वहीं कुछ समय के लिये भूमि में जलमग्‍नता को भी सहन कर सकती है। ज्‍वार का पौधा अन्‍य अनाज वाली फ़सलों की अपेक्षा कम प्रकाश संश्‍लेशण एवं प्रति इकाई समय में अधिक शुष्‍क पदार्थ का निर्माण करता है। ज्‍वार की पानी उपयोग करने की क्षमता भी अन्‍य अनाज वाली फ़सलों की तुलना में अधिक है। वर्तमान समय में भारत में ज्वार की खेती मध्य प्रदेश, उडीसा, उत्तर प्रदेश तथा पंजाब राज्यों में बहुतायत में की जाती है। ज्‍वार के दाने का उपयोग उच्‍च गुणवत्‍ता वाला एल्‍कोहल बनाने में भी किया जाता हैं।
ज्वार ऊष्ण जलवायु की फसल है, परन्तु शीघ्र पकने वाली जातियाँ ठन्डे प्रदेशों में भी गर्मी के दिनों में उगाई जा सकती है । ज्वार की फ़सल में बाली निकलते समय 30 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापक्रम फ़सल के लिए हानिकारक हो सकता है।
उत्पादक देश - संयुक्त राज्य अमेरिका, भारत, पाकिस्तान, रुस, चीन
तापमान - 25 से 35 से.ग्रे.
वर्षा - 40 से 60 सेमी.

मटियार, दोमट या मध्‍यम गहरी भूमि, पर्याप्‍त जीवाश्‍म तथा भू‍मि का 6.0 से 8.0 पी.एच. ज्वार के लिये सर्वाधिक उपयुक्‍त पाया गया है। खेत में पानी का निकास अच्‍छा होना चाहिये। गर्मी के समय खेत की गहरी जुताई भूमि उर्वरकता, खरपतवार, रोग एवं कीट नियंत्रण की दृष्टि से आवश्‍यक है। खेत को ट्रैक्‍टर से चलने वाले कल्‍टीवेटर या बैल जोड़ी से चलने वाले बखर से जुताई कर ज़मीन को अच्‍छी तरह भुरभुरी कर पाटा चलाकर बोनी हेतु तैयार करना चाहिए।

मिट्टी
ज्‍वार के लिए उपजाऊ जलोढ़ अथवा चिकनी मिट्टी काफ़ी उपयुक्त होती है, किन्तु लाल, पीली, हल्की एवं भारी दोमट तथा बलुई मिट्टियों में भी इसकी कृषि की जाती है।

जुलाई में कृषि कार्यों में क्या करें

जुलाई में कृषि कार्यों में क्या करें

जुलाई महीने के प्रमुख कृषि कार्य

धनहा खेत में हरी खाद की फसल लगाते हैं। ये गहरे हल से जुताई करके किया जाता है।

धान का रोपा लगाया जाता है। जो धान जून के अन्त में बोयी गयी थी, उसकी निंदाई की जाती है।

मक्का, जो मई या जून में बोई गयी थी, उसकी निंदाइ की जाती है।

इस महीने में फिर से मक्का बाजरा, ज्वार, अरहर आदि लगाते हैं।

गन्ने पर मिट्टी चढ़ायी जाती है। कपास, मूंगफली की निंदाई-गुड़ाई करते हैं।

सूरजमुखी की बुवाई करना शूरु हो जाता है।

चारे के लिये सूडान घास, मक्का, नेथियर, रोड्स पारा आदि घास लगायी जाती है।