मक्का

मक्का (वानस्पतिक नाम : Zea mays) एक प्रमुख खाद्य फसल हैं, जो मोटे अनाजो की श्रेणी में आता है। इसे भुट्टे की शक्ल में भी खाया जाता है।

भारत के अधिकांश मैदानी भागों से लेकर २७०० मीटर उँचाई वाले पहाडी क्षेत्रो तक मक्का सफलतापूर्वक उगाया जाता है। इसे सभी प्रकार की मिट्टियों में उगाया जा सकता है तथा बलुई, दोमट मिट्टी मक्का की खेती के लिये बेहतर समझी जाती है। मक्का एक ऐसा खाद्यान्न है जो मोटे अनाज की श्रेणी में आता तो है परंतु इसकी पैदावार पिछले दशक में भारत में एक महत्त्वपूर्ण फसल के रूप में मोड़ ले चुकी है क्योकि यह फसल सभी मोटे व प्रमुख खाद्दानो की बढ़ोत्तरी दर में सबसे अग्रणी है। आज जब गेहूँ और धान मे उपज बढ़ाना कठिन होता जा रहा है, मक्का पैदावार के नये मानक प्रस्तुत कर रही है जो इस समय बढ्कर 5.98 तक पहुँच चुका है।

यह फसल भारत की भूमि पर १६०० ई० के अन्त में ही पैदा करना शुरू की गई और आज भारत संसार के प्रमुख उत्पादक देशों में शामिल है। जितनी प्रकार की मक्का भारत में उत्पन्न की जाती है, शायद ही किसी अन्य देश में उतनी प्रकार की मक्का उत्पादित की जा रही है। हा यह बात और है कि भारत मक्का के उपयोगो मे काफी पिछडा हुआ है। जबकि अमरीका में यह एक पूर्णतया औद्यागिक फसल के रूप में उत्पादित की जाती है और इससे विविध औद्यागिक पदार्थ बनाऐ जाते है। भारत में मक्का का महत्त्व एक केवल खाद्यान्न की फसल के रूप मे जाना जाता है। सयुक्त राज्य अमरीका मे मक्का का अधिकतम उपयोग स्टार्च बनाने के लिये किया जाता है।

भारत में मक्का की खेती जिन राज्यों में व्यापक रूप से की जाती है वे हैं - आन्ध्र प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, राजस्थान, उत्तर प्रदेश इत्यादि। इनमे से राजस्थान में मक्का का सर्वाधिक क्षेत्रफल है व आन्ध्रा में सर्वाधिक उत्पादन होता है। परन्तु मक्का का महत्व जम्मू कश्मीर, हिमाचल, पूर्वोत्तर राज्यों, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ, महाराष्ट्र, गुजरात व झारखण्ड में भी काफी अधिक है।
बुआई का समय
जून के आरम्भ से जून अन्त तक 

मक्का उत्पादन के लिए भौगोलिक कारक
उत्पादक कटिबन्ध - उपोष्ष्ण कटिबन्ध
तापमान - २५ से ३० सें. ग्रे.
वर्षा - ६० से १२० सें. मी.
मिट्टी - चिकनी, दोम व कांप मिट्टी
खाद - नाइट्रोजन, सल्फेट आदि

वर्षभर में दो बार खेती की जा सकती है स्वीट कॉर्न की खेती

स्वीट कॉर्न की खेती

शॉपिंग मॉल में फिल्म देखते समय ब्रेक के दौरान आपने भुट्टे का स्वाद जरूर चखा होगा। बिल्कुल उसी स्वीट कॉर्न की बात कर रहे हैं, जो प्रति प्लेट लगभग 80 रुपये मिलता है। शक्कर के दाने की तरह मीठा यह भुट्टा कहीं बाहर से नहीं, बल्कि एग्रीकल्चर विवि समेत प्रदेश के कुछ जिलों से लाया जाता है। ट्रायल के तौर पर पिछले दो वर्ष से विवि में संचालित सुनियोजित कृषि विकास केन्द्र (पीएफडीसी) के तहत स्वीट कॉर्न फसल लगाई गई है। इसके दाने शक्कर की मिठास से कम नहीं हैं। हालांकि अनुसंधान कार्य के अंतर्गत चल रही इस योजना को लेकर किसान काफी उत्साहित हैं। वहीं पीएफडीसी के प्रमुख अन्वेषक डॉ.

जुलाई में कृषि कार्यों में क्या करें

जुलाई में कृषि कार्यों में क्या करें

जुलाई महीने के प्रमुख कृषि कार्य

धनहा खेत में हरी खाद की फसल लगाते हैं। ये गहरे हल से जुताई करके किया जाता है।

धान का रोपा लगाया जाता है। जो धान जून के अन्त में बोयी गयी थी, उसकी निंदाई की जाती है।

मक्का, जो मई या जून में बोई गयी थी, उसकी निंदाइ की जाती है।

इस महीने में फिर से मक्का बाजरा, ज्वार, अरहर आदि लगाते हैं।

गन्ने पर मिट्टी चढ़ायी जाती है। कपास, मूंगफली की निंदाई-गुड़ाई करते हैं।

सूरजमुखी की बुवाई करना शूरु हो जाता है।

चारे के लिये सूडान घास, मक्का, नेथियर, रोड्स पारा आदि घास लगायी जाती है।

कम वर्षा की संभावना देख मक्का की खेती पर जोर

कम वर्षा की संभावना देख मक्का की खेती पर जोर

वैज्ञानिकों द्वारा इस वर्ष पिछली बार की तुलना में बीस फीसद कम बारिश होने की संभावना व्यक्त की जा रही है जिसको देखते हुए वैज्ञानिकों ने कहा है कि ऊंची जमीन पर धान की फसल से तौबा कर मक्का व अन्य फसलों को बोये जाने पर जोर दिया है।

मक्का उगाएं,आमदनी बढ़ाएं

मक्का उगाएं,नी बढ़ाएं आमद

जायद में मक्का की खेती कर किसान अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं। विश्व के सकल खाद्यान्न उत्पादन में इसका 25 फीसद योगदान है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह फसल कम समय में तैयार होती है। जिला कृषि अधिकारी आरएन सिंह का कहना है कि जायद में मक्का की खेती से न केवल हम आय बढ़ा सकते हैं बल्कि पशुओं के चारे की समस्या का भी समाधान कर सकते हैं।