कुंदरू

कुंदुरी या कुंदरू (Coccinia grandis, Kovakka अथवा Coccinia indica) एक उष्णकटिबंधीय लता है।[1] यह सारे भारत में स्वतः भी उगती है और कुछ जगहों पर इसकी खेती भी की जाती है।
इसकी जड़ें लंबी और फल २ से ५ सें. मी. लंबे और १ से २.५ सें. मी. व्यासवाले अंडाकार अथवा दीर्घवृत्ताकार होते हैं। फल कच्चा रहने पर हरे और सफेद धारियों से युक्त होता है। पक जाने पर इसका रंग चटक सिंदूरी हो जाता है। कच्चे फल तरकारी बनाने के काम आते हैं और पकने पर ये ताजे भी खाए जाते हैं। कुछ लोग पके हुए फलों को शक्कर में पाग देते हैं।

कुंदुरी की पत्तियाँ, पके फल एवं फूल
कुंदरू के कच्चे फल
कुंदुरी के फलों के रासायनिक विश्लेषण से निम्नांकित मान प्राप्त हुए हैं:

आर्द्रता ९३.१० प्रतिशत
कार्बोहाइड्रेट ०३.५० प्रतिशत
प्रोटीन ०१.२० प्रतिशत
खनिज पदार्थ ००.५० प्रतिशत
वसा ००.१०
कैल्सियम ००.४० प्रतिशत
तंतु ०१.६० प्रतिशत
फास्फोरस ००.०३ प्रतिशत
कुंदुरी की जड़ों, तनों और पत्तियों के अनेक विरचनों का उल्लेख देशी ओषधियों में पाया जाता है जिसके अनुसार इसे चर्म रोगों, जुकाम, फेफड़ों के शोथ तथा मधुमेह में लाभदायक बताया गया है।

श्वसनकसनतृष्णायक्ष्मपित्ताश्रपित ।
ज्वरदवथुकफघ्नस्तन्यकृद् बिम्बमाहुः॥ -- वैद्यवतांशः (लोलिम्बराज)
बिम्ब (कुन्दुरी) के फल के सेवन से श्वसन, खांसी, भूख, पित्त सम्बन्धी रोग, ज्वर आदि का नाश होता है। कुन्दरी कफघ्न (कफ को मारने वाला) है।

जुलाई में कृषि कार्यों में क्या करें

जुलाई में कृषि कार्यों में क्या करें

जुलाई महीने के प्रमुख कृषि कार्य

धनहा खेत में हरी खाद की फसल लगाते हैं। ये गहरे हल से जुताई करके किया जाता है।

धान का रोपा लगाया जाता है। जो धान जून के अन्त में बोयी गयी थी, उसकी निंदाई की जाती है।

मक्का, जो मई या जून में बोई गयी थी, उसकी निंदाइ की जाती है।

इस महीने में फिर से मक्का बाजरा, ज्वार, अरहर आदि लगाते हैं।

गन्ने पर मिट्टी चढ़ायी जाती है। कपास, मूंगफली की निंदाई-गुड़ाई करते हैं।

सूरजमुखी की बुवाई करना शूरु हो जाता है।

चारे के लिये सूडान घास, मक्का, नेथियर, रोड्स पारा आदि घास लगायी जाती है।