गेहूँ कटाई के बाद फसलों के अवशेष (नरवाई) का करें सदुपयोग, बचाएं महत्वपूर्ण तत्व

गेहूँ कटाई के बाद फसलों के अवशेष (नरवाई) का करें सदुपयोग, बचाएं महत्वपूर्ण तत्व

गेहूं आदि फसलों की कम्बाइन हार्वेस्टर से कटाई उपरांत अधिकांश फसलों के अवशेष या नरवाई खेत में रह जाती है, जिसे जलाया नहीं जाना चाहिए। नरवाई जलाने से हमारे खेतों में मौजूद लाभदायक मित्र कीट नष्ट हो जाते है। साथ ही मिट्टी का तापक्रम बढ़ने से उर्वरा शक्ति भी नष्ट होती है, मिट्टी सख्त हो जाती है। फलस्वरूप जुताई करने पर अधिक मेहनत लगती है और डीजल की लागत भी बढ़ जाती है और मिट्टी की जल धारण क्षमता भी कम हो जाती है। नरवाई जलाने से मिट्टी में कार्बन की मात्रा कम हो जाती है जबकि मिट्टी के उपजाऊपन के लिए कार्बन की मात्रा होना लाभदायक होता है।
किसान हैल्प के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ आर के सिंह जी से फसल की कटाई मड़ाई व नरवाई प्रबंधन पर चर्चा हुई जिसमें डॉ आर के सिंह जी ने फसलों के अवशेषों के प्रबंधन के बारे में जोर दिया उन्होंने बतायारबी फसल की कटाई में हार्वेस्टर का ज्यादा उपयोग होने लगा है | जिससे खेत में गेंहू की बाली तो काट लेते है लेकिन शेष पौष खेत में बच जाता है , जिसे बाद में आग लगा दिया जाता है | आग के कारण शेष गेहूं का पौधा तो जल जाता है और खेत भी साफ हो जाता है | इससे ज्यादा किसान तथा खेत को नुकसान उठाना पड़ता है |
उन्होंने फसल अवशेष प्रबंधन के बारे में भी अपने निम्न विचार रखे

हार्वेस्टर द्वारा छोड़े गये फसल अवशेष एवं डंठल की कटाई ट्रैक्टर चलित स्ट्रारीपर से एक घंटे में एक एकड़ क्षेत्र के डंठलों से लगभग 10 क्विंटल तक भूसा प्राप्त किया जा सकता है। फसल अवशेष से जैविक खाद भी बनाया जा सकता है। नरवाई को जल्दी सड़ाने के लिए बाजार में कल्चर भी उपलब्ध है। इस जैविक खाद का खेतो में डालकर अथवा बाजार में बेच कर किसान अतिरिक्त आय भी प्राप्त कर सकते हैं। अतएव कृषि विशेषज्ञों की किसानों को सलाह है कि नरवाई को नहीं जलाएं.इसके बहुत नुकसान हैं। नरवाई जलाना अपराध भी घोषित हो चुका है। अत: इससे बचें तथा खेत को बर्बाद होने से बचाते हुए भूमि की उर्वराशक्ति बढ़ाएं।