जहर भी कम, कहर भी कम और कमाई दोगुनी

जहर भी कम, कहर भी कम और कमाई दोगुनी

इन्हें मंडियों में भटकने की जरूरत नहीं पड़ती। खेतों में खड़ी फसल की बुकिंग पहले ही हो जाती है, वह भी दोगुने रेट पर। खर्चा भी दूसरे किसानों से कम है। जहां, बेमौसम बारिश से फसल खराब होने पर किसान आत्महत्या कर रहे हैं, वहीं मीरपुर सईदां के शेर सिंह और कादियां के पास लीलकलां गांव के हरपाल सिंह ऐसे चुनिंदा किसानों में हैं, जिनकी फसल का बारिश भी कुछ नहीं बिगाड़ पाई। कारण, ये किसान जैविक (आर्गेनिक) तरीके से खेती करते हैं। फिलहाल, पंजाब में करीब 100 किसान जैविक खेती कर रहे हैं।

बेमौसम बारिश से पंजाब में ही 3 हजार करोड़ का गेहूं बर्बाद हुआ है। किसानों की लागत भी नहीं निकली। लेकिन, हरपाल सिंह को मुनाफा हुआ है। 20 एकड़ में खेती करने वाले हरपाल की अन्य किसानों से तुलना की जाए तो उनका प्रति एकड़ 2 क्विंटल गेहूं उत्पादन अधिक है, जबकि लागत 2200 रुपए प्रति एकड़ कम। उनकी फसल 3500 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से बुक हो चुकी है, जबकि सरकारी रेट 1450 है।

 

...उधर, जॉर्जिया में धाक जमा रहे पंजाबी किसान

जॉर्जिया में रमनदीप सिंह पल्हन ने 30 हेक्टेयर यानी 75 एकड़ जमीन खरीदी, जिन पर वे गेहूं और अन्य फसलों की खेती करने जा रहे हैं। 1000 से 1200 डॉलर यानी 60 से 70 हजार रुपए में प्रति हेक्टयर जमीन खरीदने के लिए रमनदीप ने पंजाब में सिर्फ अपनी एक एकड़ जमीन ही बेची है। जॉर्जिया की राजधानी तबलिसी से 25 किलोमीटर दूर अंजान से गांव में रमनदीप जब ट्रैक्टर और अन्य साजो-सामान के साथ पहुंचे तो पूरा गांव उन्हें देखने आ गया। गांव के आसपास काफी कृषि योग्य भूमि बेकार पड़ी है। रमनदीप अभी और जमीन खरीदना चाहते हैं। उन्होंने फोन पर बताया कि यहां के लोग खेती नहीं करना चाहते। इसलिए पंजाब से कुछ और लोग आकर बसने शुरू हो गए हैं।

 

अफ्रीकी देशों से भी बुलावा

पंजाब में किसानों की हालत जैसी भी हो, लेकिन पूरी दुनिया से उन्हें बुलावा आ रहा है। जॉर्जिया के अलावा इथोपिया, घाना, जाम्बिया आदि कई अफ्रीकी देश भी पंजाब के किसानों को कृषि के लिए आमंत्रित कर रहे हैं। पंजाब सरकार से किसानों को भेजने की मांग की जा रही है। बड़ी संख्या में किसानों ने वहां पर जाना भी शुरू कर दिया है। इसके लिए सरकार रियायत भी दे रही है।